धर्म-अध्यात्म

चाणक्य के अनुसार ये 4 दोस्त नहीं छोड़ते मुश्किल समय में भी साथ

Tara Tandi
8 Jun 2021 7:48 AM GMT
चाणक्य के अनुसार ये 4 दोस्त नहीं छोड़ते मुश्किल समय में भी साथ
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आचार्य चाणक्य की बातें हमेशा से लाभप्रद रही हैं. वो एक कुशल राजनीतिज्ञ थे.

=आचार्य चाणक्य की बातें हमेशा से लाभप्रद रही हैं. वो एक कुशल राजनीतिज्ञ थे. उनकी नीतियां जीवन के हर मोड़ पर बहुत ही प्रासंगिक रही हैं. उन्होंने व्यक्ति के जीवन से जुड़ी कई गूढ़ बातों का उल्लेख अपनी चाणक्य नीति में किया है.

उनकी ये नीतियां आज के समय में भी बहुत ही प्रचलित हैं और वो जीवन में बहुत काम आती हैं लेकिन लोग अपने जीवन में उनके बताए गए सिद्धांतों का पालन नहीं कर पाते या करना नहीं चाहते. इस आपाधापी वाले जीवन में किसी को भी दो पल की फुर्सत नहीं है लेकिन अगर उनकी बताई गई नीतियों का हम और आप अनुसरण करते हैं तो जीवन में सफलता का मार्ग ही प्रशस्त होगा.

आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति के साथ संबंधों पर भी बहुत सारी बातें अपनी पुस्तक के माध्यम से बताई हैं. व्यक्ति के जीवन में आने वाले सुख-दुख के अलावा कई सारी बातों को विस्तारपूर्वक उन्होंने बताया है. साथ ही उन समस्याओं के समाधान का रास्ता भी दिखाया है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, कोई भी व्यक्ति अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही मृत्यु को प्राप्त होता है लेकिन जितने समय तक वो जीवित रहता है, अपने कर्मों के शुभ-अशुभ परिणामों को भी वो स्वयं ही भोगता है. चाहे वो अपने कर्मों के बूते नर्क में जाए या स्वर्ग में लेकिन उसका भागीदार भी वो स्वयं ही होता है. आज हम आचार्य चाणक्य की बताई गई एक ऐसी ही शिक्षाप्रद बात को आपके सामने रख रहे हैं-
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आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति के जीवन में चार ऐसे लोग होते हैं जो कठिन परिस्थितियों में भी साथ नहीं छोड़ते. आइए उनके बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं-
ये लोग हैं दुनिया में सबसे दुखी
आचार्य चाणक्य की नीति शास्त्र के अनुसार, वो लोग इस दुनिया में सबसे सुखी लोग हैं, जो अपने संबंधियों प्रति उदार भावना रखते हैं, अनजाने लोगों के प्रति अच्छी भावना रखते हैं और अच्छे लोगों के प्रति प्रेम-भाव रखते हैं, जदुष्ट लोगों से धूर्तता पूर्ण व्यवहार करते हैं, विद्वानों से कुछ भी नहीं छिपाते और दुश्मनों के सामने साहस दिखाते हैं.

जिस व्यक्ति ने नहीं दिया कोई भी दान
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, अरे लोमड़ी! उसे जल्द से जल्द छोड़ दे, जिसके हाथों ने कोई दान नहीं किया, जिसके कानों ने कोई विद्या ग्रहण नहीं की, जिसकी आंखों ने भगवान का सच्चा भक्त नहीं देखा, जिसके पांव कभी तीर्थ स्थानों पर नहीं गए, जिसने अधर्म मार्ग से कमाए हुए धन से अपना पेट भरा और जिसने बिना मतलब ही अपना सिर ऊंचा उठाए रखा. अरे लोमड़ी! उसे मत खा, नहीं तो तू दूषित हो जाएगी.

व्यक्ति स्वयं भोगता है अपना किया
चाणक्य नीति के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अकेले ही जन्म लेता है और अकेले ही मृत्यु को भी प्राप्त करता है. अपने कर्मों के शुभ-अशुभ परिणामों के फल भी वो स्वयं ही भोगता है. वो अकेले ही नर्क में जाता है या स्वर्ग में जाता है.
पुण्य मृत्यु के बाद एक मित्र
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, जब आप सफर पर जाते हैं तो विद्यार्जन ही आपका सच्चा मित्र होता है. इसी तरह घर में पत्नी आपकी मित्र होती है. ऐसे ही बीमार होने पर दवा आपकी मित्र होती है और अर्जित पुण्य मृत्यु के बाद एकमात्र मित्र होता है.


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