धर्म-अध्यात्म

चाणक्य के अनुसार: जीवन में लक्ष्य प्राप्त करना है तो, जान ले ये महत्वपूर्ण बातें

Tara Tandi
3 Feb 2021 9:41 AM GMT
चाणक्य के अनुसार: जीवन में लक्ष्य प्राप्त करना है तो, जान ले ये महत्वपूर्ण बातें
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अभी तक हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से आचार्य चाणक्य के बारे में ही नहीं बल्कि उनकी कई नीतियों से अवगत करवाया है।

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | अभी तक हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से आचार्य चाणक्य के बारे में ही नहीं बल्कि उनकी कई नीतियों से अवगत करवाया है। जिनका उपयोग करके आप में से बहुत से लोगों को फायदा भी हुआ होगा। इसी कड़ी को बरकरार रखते हुए एक बार फिर हम आपके लिए लाएं हैं एक ऐसी नीति जिसमें उन्होंने आम आदमी के जीवन से जुड़ी एक ऐसी बात बताई है जिसे अपनाने वाला व्यक्ति कभी अपने जीवन में मात नहीं खाता। जी हां, इस नीति में उन्होंने बताया है कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए व्यक्ति को क्या करना चाहिए। बल्कि उनका मानना है कि बिना इस सीख के कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य तक आसानी से नहीं पहुंच सकता।

आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई तमाम नीतियों न केवल उस समय में उपयोगी नहीं थी बल्कि आज के समय में भी अगर कोई व्यक्ति इन नीतियों को सूझ-बूझ से अपनाता है तो वो अपने जीवन के कठिन से कठिन लक्ष्य को भी आसानी से हासिल कर पाने की ताकत रखता है।

आचार्य चाणक्य का मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति को अपना लक्ष्य पाने के लिए पूरी तरह से उसके प्रति समर्पित होना। ताकि उसके आस पास की हर वस्तु तक उसे उसके लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित हो। उनके अनुसार हर व्यक्ति को अपने लक्ष्य को पाने के लिए इस बात को पल्ले बांधना चाहिए कि ताकि उसका समर्पण देख कोई व्यक्ति का साथ और सहयोग पाने में हमें तनिक संकोच न करें। बल्कि हम युक्तिपूर्वक उन्हें जोड़ पाएं और उसका उपयोग कर पाएं।

शास्त्रों में वर्णन के अनुसार चाणक्य लक्ष्य प्राप्ति के लिए अंतिम व्यक्ति ही नहीं बल्कि वस्तु को भी प्रयोग में लाते थे। सफलता प्राने के लिए वे सर्वोत्तम संभावना के साथ प्रयास करते थे तथा सभी में अवसर देखते थे।

वे किसी को हीन अथवा बड़े की दृष्टि से नहीं देखकर हमेशा सहयोगी के नजरिए से देखते थे। मौके पर अपनी जान की बाजी तक लगा देने के लिए प्रेरित करते थे। कहा जाता है कि उनकी इस ही नीति के तहत उन्होंने एक साधारण परिवार के बालक को योद्धा बनाया था। चंद्रगुप्त मौर्य की नेतृत्व क्षमता का विकास कर उसे सशक्त बनाया था।

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