धर्म-अध्यात्म

ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार से जानिए मृत व्‍यक्तियों के कपड़े क्‍यों नहीं पहनने चाह‍िए?

Kunti Dhruw
2 Sep 2021 2:44 PM GMT
ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार से जानिए मृत व्‍यक्तियों के कपड़े क्‍यों नहीं पहनने चाह‍िए?
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आपने अक्‍सर सुना होगा क‍ि मृत व्‍यक्तियों के कपड़े नहीं पहनने चाह‍िए।

आपने अक्‍सर सुना होगा क‍ि मृत व्‍यक्तियों के कपड़े नहीं पहनने चाह‍िए। लेक‍िन क्‍या आप जानते हैं क‍ि ऐसा क‍िस वजह से क‍िया जाता है? क्‍योंक‍ि सनातन धर्म में हर बात और हर कर्म की एक मजबूत वजह और तर्क है। ऐसे में इस कर्म के पीछे क्‍या कारण है आइए जानते हैं?

अतीत की यादों में बांधकर रख सकती हैं
ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार, जब हमारा कोई प्रिय अपने प्राण त्यागता है तब उसके साथ जुड़े रहने के लिए हमारे पास केवल उसकी यादें शेष बच जाती हैं। जिसमें कुछ उनका सामान भी है। अगर हम मृत व्यक्ति का सामान अपने पास रखते हैं और उसका उपयोग भी करते हैं तब यह हमें मानसिक रूप से कमजोर कर सकता है, हमें उस दुखद क्षण को भूलने नहीं देता, अपने आप को जीवन की गति के साथ आगे बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि उन वस्तुओं को दान कर दिया जाए जो आपको अतीत की यादों में बांधकर रख सकती है।
आत्‍मा को कभी भी रोकें नहीं
मृत्यु के बाद भी जीवन है। मृत्यु अंत नहीं बल्कि उस आत्मा की एक नई शुरुआत है इसल‍िए आपको कोशिश करनी चाहिए कि मृतक के कपड़ों या अन्य किसी सामान की वजह से, मुक्त हो चुकी आत्मा की यात्रा को बाधित नहीं करनी चाह‍िए। मान्‍यता है क‍ि आत्मा स्वच्छंद है। जीवन त्‍यागने के बाद शायद वह एक नए शरीर की तलाश में जुटने जा रही होती है। इसल‍िए उसे रोकें नहीं, आगे बढ़ने दें, एक नया आगाज करने दें। इसी वजह से मृतक से संबंध‍ित वस्‍तुओं के प्रयोग से बचना चाह‍िए।
मृतक के कपड़ों को क‍िसी गरीब को दान में दे दें
ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार, मृतक के कपड़े हमेशा दान कर देने चाहिए। इसके पीछे का मनोवैज्ञानिक मत है क‍ि मृतक के कपड़ों को हर समय देखने से उसके आस-पास होने का अहसास होता है। साथ ही उससे जुड़ी यादें कई बार लोगों को अवसाद का भी श‍िकार बना देती हैं। इसल‍िए भी मृतक के कपड़ों को दान करने के ल‍िए कहा जाता है।


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