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- रद्द कानून का
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किए गए कानून का पुलिस द्वारा अभी भी इस्तेमाल न केवल दुखद, बल्कि शर्मनाक भी है। सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की गई धारा 66अ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उचित ही जवाब मांगा है। इस धारा को 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था, लेकिन पुलिस अभी भी इसके तहत मामले दर्ज कर रही है और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई है। अब केंद्र सरकार को अदालत को यह बताना होगा कि देश भर में अब तक इसके तहत कितने मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जिस कानून को निरस्त हुए करीब छह साल होने जा रहे हैं, उसके बारे में पुलिस प्रशासन का सूचित न होना बड़ी चिंता की बात है। पुलिस के स्तर पर जागरूक अफसरों की कमी नहीं है और अनेक पुलिस अफसर ऐसे होंगे, जो इस निरस्त कानून के बारे में भी जानते होंगे, पर इसके बावजूद बड़ी संख्या ऐसे पुलिस वालों की है, जिन्हें इस कानून के बारे में सूचना नहीं है। न जाने कितने लोगों को इस कानून के तहत परेशान किया गया होगा? जिन्हें पुलिस कार्रवाई से गुजरना पड़ा होगा, उनकी तकलीफ की भरपाई क्या मुमकिन है?