धर्म-अध्यात्म

पूजा से पहले आचमन का है विशेष महत्व, मिलता है पूजा का दोगुना फल

Tulsi Rao
8 Jan 2022 10:15 AM GMT
पूजा से पहले आचमन का है विशेष महत्व, मिलता है पूजा का दोगुना फल
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किसी भी देवी-देवती की पूजा करने से पहले शरीर को शुद्ध करना होता है. शरीर को शुद्ध करने की इस प्रक्रिया को आचमन कहा जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। किसी भी देवी-देवती की पूजा करने से पहले शरीर को शुद्ध करना होता है. शरीर को शुद्ध करने की इस प्रक्रिया को आचमन कहा जाता है. बिना आचमन किए पूजा का लाभ नहीं मिलता. इसलिए आचमन को हर स्थिति में जरूरी माना गया है. वैसे तो शास्त्रों में आचमन की कई तरीके बताए गए हैं. लेकिन हम आपको शास्त्रों के मुताबिक जरूरी बातें बता रहे हैं. इस तरीके से आचमन करने पर पूजा-पाठ का दोगुना लाभ मिलता है.

कैसे करें आचमन
पूजा करने से पहले तांबे के बर्तन में गंगाजल या पीने योग्य साफ और शुद्ध जल लें. इसके बाद इसमें कुछ तुलसी की पत्तियां डालकर पूजा स्थान पर रखें. पूजा शुरू करने से पहले आचमनी (तांबे का छोटा चम्मच) से हाथों पर थोड़ा जल लेकर ईष्ट देवी या देवता का ध्यान करते हुए तीन बार ग्रहण करें. इसके बाद हाथों से माथे और कानों को छुकर प्रणाम करें. आचमन करते वक्त ॐ केशवाय नम: ॐ नाराणाय नम: ॐ माधवाय नम: ॐ ह्रषीकेशाय नम: इस मंत्र को बोलें. ऐसा करने से देवता खुश होते हैं.
आचमन के समय इस दिशा में रखें मुंह
आचमन के वक्त दिशा का विशेष महत्व है. ऐसे में आचमन करके समय मुंह हमेशा पूरब, उत्तर या ईशान कोन की तरफ रखें. दूसरी दिशाओं मुंह करके आचमन करने से पूजा का कोई लाभ नहीं मिलता है.
तीन बार ही क्यों करते हैं आचमन
आचमन लगातार तीन बार किया जाता है. ऐसा करने से पूजा के दौरान मंत्र पढ़ने में शुद्धता आती है. साथ ही मन, वचन और कर्म तीनों की शुद्धता बनी रहती है. इसके अलावा कायिक, मानसिक और वाचिक पापों से मुक्ति मिलती है


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