धर्म-अध्यात्म

गीता जयंती के शुभ अवसर पर लगता है भव्य मेला, जानें महत्व

Bhumika Sahu
13 Dec 2021 7:07 AM GMT
गीता जयंती के शुभ अवसर पर लगता है भव्य मेला, जानें महत्व
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Gita Jayanti 2021: हर साल मोक्षदा एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल 14 दिसंबर, मंगलवार के दिन गीता जयंती मनाई जाएगी. हर साल मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है. इस दिन मोक्षदा एकादशी भी मनाई जाती है. भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद शामिल हैं. ये हिंदुओं की पवित्र ग्रंथ के रूप में प्रतिष्ठित हैं. इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध के मैदान में अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था.

भगवान कृष्ण के मुख से निकली गीता का मनुष्य के बौद्धिक और नैतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है. इस दिन श्रीमद्भागवद् गीता के अलावा भगवान श्रीकृष्ण और वेद व्यास की भी पूजा की जाती है. इस दिन विधिपूर्वक गीता और भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है, शुभ फल की प्राप्ति होती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस साल गीता की 5158वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी.
ये है शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 13 दिसंबर को रात्रि 9 बजकर 32 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 14 दिसंबर को रात्रि 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन साधक दिनभर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा उपासना कर सकते हैं.
गीता जयंती पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से दो घंटे पहले) के दौरान जल्दी उठें. नहा धोकर साफ कपड़े पहनें. गंगाजल छिड़क कर पूजा कक्ष को शुद्ध करें. एक लकड़ी की चौकी रखें और इसे लाल या पीले कपड़े से ढक दें. इस पर भगवान कृष्ण की एक मूर्ति रखें. तेल या घी का दीपक जलाएं. भगवान कृष्ण को हल्दी, चंदन और कुमकुम लगाएं. पवित्र भगवद गीता को लाल कपड़े से कवर करें और इसे श्री कृष्ण की मूर्ति के बगल में रखें. गीता को हल्दी, चंदन और कुमकुम अर्पित करें. फिर हल्दी के साथ मिश्रित कच्चे चावल, फूल, दीपक, धूप और नैवेद्य अर्पित करें. पूजा समाप्त करने के लिए आरती करें. हाथ जोड़कर भगवद गीता की पूजा करें और फिर गीता पाठ करें. अगर आप इस दिन गीता का पाठ करते हैं या पवित्र ग्रंथ का पाठ सुनते हैं तो इसे पवित्र माना जाता है.
कुरुक्षेत्र में गीता जयंती का उत्सव
गीता जयंती का उत्सव देश के कई हिस्सों में होता है लेकिन कुरुक्षेत्र में भव्य उत्साह देखा जा सकता है. देशभर के भक्त कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर और सन्निहित सरोवर में पवित्र स्नान करते हैं. इस दिन को मनाने के लिए, हर साल एक मेले का आयोजन किया जाता है जो लगभग सात दिनों तक चलता है, इसे गीता जयंती समारोह के नाम से जाना जाता है. हजारों लोग इकट्ठा होते हैं और गीता पाठ, नृत्य प्रदर्शन, नाटक, कृत्य, भजन, आरती आदि के साथ त्योहार मनाते हैं.


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