धर्म-अध्यात्म

सोमवती अमावस्या पर कल 6 दुर्लभ संयोग बन रहे, जानें मुहूर्त और पूजा विधि

Teja
29 May 2022 11:38 AM GMT
सोमवती अमावस्या पर कल 6 दुर्लभ संयोग बन रहे, जानें मुहूर्त और पूजा विधि
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सोमवती अमावस्या का पावन पर्व कल यानी सोमवार को है। दरअसल सोमवार को एक साथ तीन त्योहार होने की वजह से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सोमवती अमावस्या का पावन पर्व कल यानी सोमवार को है। दरअसल सोमवार को एक साथ तीन त्योहार होने की वजह से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। कल सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए जहां वट सावित्री व्रत रखेंगी, वहीं शनिदोष से पीड़ित जातक शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि जयंती पर विशेष उपाय करेंगे। इसके साथ ही कल सोमवती अमावस्या का भी शुभ संयोग बन रहा है।

ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के मुताबिक सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में अमावस्या तिथि आरंभ होगी। इसके अलावा इस दिन बुधादित्य, वर्धमान, सुकर्मा और केदार नाम के भी शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन वृषभ राशि में सूर्य व बुध की युति होने से बुधादित्य योग नामक राजयोग बन रहा है। 30 मई को एक साथ 6 शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन शनिदेव अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान रहेंगे। देवगुरु बृहस्पति भी अपनी स्वराशि मीन में रहेंगे। इन दोनों ग्रहों के अपनी स्वराशि में होने से कुंभ व मीन राशि वालों को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त
ज्येष्ट मास की अमावस्या तिथि (Amavasya Tithi) की शुरूआत 29 मई 2022 को दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से हो रही है। जबकि अमावस्या तिथि की समाप्ति 30 मई 2022 को शाम 04 बजकर 59 मिनट को हो रही है। उदया तिथि के कारण अमावस्या से संबंधित सारे धार्मिक कार्य 30 मई को किए जाएंगे। 30 तारीख को सोमवार है इसलिए सोमवती अमावस्या के रूप में इस दिन का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी है।
सोमवती अमावस्या की तिथि- 30 मई 2022 दिन सोमवार
अमावस्या तिथि आरंभ- 29 मई 2022 दोपहर 02 बजकर 53 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त- 30 मई 2022 शाम 04 बजकर 59 मिनट तक
सोमवार के दिन अमावस्य होने के कारण सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवार का दिन चंद्रमा का होता है। चंद्रमा औषधि, धन और मन का कारक माना गया है। वहीं अमावस्या तिथि पितरों की मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, पितरों का निवास चंद्रमा के पिछले भाग में होता है। इसलिए पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि जरूर करना चाहिए।
इस दिन चंद्रमा उच्च राशि वृषभ में होने के कारण शुभ फल प्रदान करेंगे। वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्र हैं। शुक्र का सूर्य व चंद्रमा के साथ मित्रता का भाव है। ग्रहों की स्थिति से मनचाही सफलता हासिल हो सकती है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन गरीबों को दान देने से पितृदेवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। एक ही दिन में अनेक देवी-देवताओं की कृपा पाने के लिए इस दिन को बेहद खास माना जा रहा है।
सोमवती अमावस्या पर ऐसे करें पूजा
शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। सोमवती अमावस्या के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करना भी विशेष रूप से फलदायी होता है। कई जगहों पर अमावस्या के दिन पितर देवताओं की पूजा और उनका श्राद्ध करने की परंपरा भी है।
अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में पितृदोष है, तो सोमवती अमावस्या के दिन कुंडली के पितृदोष का निवारण करा सकता है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन जो भी व्यक्ति उपवास रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
सोमवती अमावस्या पर करें ये उपाय
- अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है ऐसे में पितरों की शांति और प्रसन्नता के लिए सोमवती अमावस्या के दिन जल में तिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर तर्पण करना चाहिए। इससे उन्हें तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
- सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करते हुए आप किसी भी जरूरतमंद को अन्न, वस्त्र आदि कुछ भी दान कर सकते हैं। ऐसा करने से पितर बेहद प्रसन्न होते हैं।
- सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करें और पीले रंग के पवित्र धागे को 108 बार परिक्रमा करके बांधें। पीपल के नीचे दीपक जलाने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में खुशहाली आती है।
- संभव हो तो सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा लगाएं और इस पौधे की सेवा भी करें। आपके द्वारा लगाया गया पीपल का पौधा जैसे-जैसे बड़ा होगा, आपको अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त होगा और आपके घर के सारे संकट धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे।




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