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धर्म-अध्यात्म
6 या 7 सितंबर, मथुरा में जन्माष्टमी किस दिन मनाई जाएगी? जानें सही तिथि
Tara Tandi
3 Sep 2023 9:34 AM GMT
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कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व माना गया है। जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा का विधान है। इस दिन कृष्ण भक्त उपवास भी रखते हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार जन्मभूमि पर कृष्ण जन्माष्टमी 7 सितंबर को मनाई जा रही है। जन्म होते ही लल्ला, प्रज्ञान-प्रभास पोशाक धारण कर भक्तों को मोहित करेंगे। इसके बाद सोने-चांदी से निर्मित 100 किग्रा की कामधेनु गाय हरिद्वार के गंगाजल और गोमाता के दूध से लल्ला का अभिषेक करेगी। अजन्मे के स्वागत में यहां सजाए जाने वाले फूल बंगले का नाम इसरो चीफ एस सोमनाथ के नाम पर रखा गया है। भागवत भवन के द्वार पर चंद्रमा और प्रज्ञान का कटआउट लगाया जाएगा। सीएम योगी आदित्यनाथ के इस कार्यक्रम में आने की संभावना है।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा और सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के संबंध में प्रेस वार्ता कर जानकारी दी। कपिल शर्मा ने बताया कि कान्हा की पोशाक का नाम प्रज्ञान-प्रभास रखा गया है। चंद्रमा के अप्रियतम सौंदर्य में अठखेलियां कर भारतवर्ष के समृद्ध ज्ञान की परंपराओं के संवर्धन में लगे वैज्ञानिक यंत्र ''प्रज्ञान'' के नाम अनुरूप ठाकुरजी की पोशाक का नाम ''प्रज्ञान-प्रभास'' दिया गया है।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान का यह प्रयास भारत की सनातन परंपराओं के संवर्धन एवं नवीन अनुसंधान में लगे उन सभी वैज्ञानिकों का अभिनंदन कर सफलता की शुभकामना देना है। पांच पोशाक बनाई गई हैं, जिनमें राधा-कृष्ण की बड़ी पोशाक हेमंत मुकुट व उनके 30-35 कारीगरों द्वारा तैयार की जा रही है। इसमें कुछ काम बंगाल और कुछ दिल्ली में भी हुआ है।
वहीं, अनिल द्वारा केशवदेव, गर्भगृह और युगमाया की पोशाक तैयार की जा रही है। जन्म के बाद श्रीकृष्ण का अभिषेक को गंगाजल से हरिद्वार मंगवाया गया है। वहीं, श्रीकृष्ण जन्मस्थान की गाय के दूध को सोने-चांदी की 100 किलोग्राम की कामधेनु गाय के दूध का इस्तेमाल किया जाएगा। जन्मभूमि के अंदर एवं परिसर के बाहर से श्रद्धालु, जिस दिशा से भी श्रीकृष्ण के दर्शन करेंगे, वहीं से उनको जन्मभूमि की अद्भुत छटा की अनुभूति होगी।
भगवान श्रीकृष्ण की प्राकट्य भूमि एवं कारागार के रूप में प्रसिद्ध गर्भ गृह एवं संपूर्ण श्रीकृष्ण चबूतरा की साज-सज्जा अदभुत होगी। इस वर्ष प्रयास रहेगा कि श्री गर्भगृह के भीतरी भाग को तो कारागार का स्वरूप प्रदान किया जाएगा। गर्भगृह के बाहरी भाग श्रीकृष्ण चबूतरा के प्राचीन वास्तु अथवा मूलरूप में कोई परिवर्तन किए बिना कारागार का स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
गर्भगृह के बाहरी हिस्से में उत्कीर्ण भगवान के जन्म से पूर्व की लीलाएं भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहेंगी। 1008 कमल-पुष्पों से ठाकुरजी का सहस्त्रार्चन होगा। सात सितंबर की रात्रि 12 बजे भगवान के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में ढोल-नगाड़े, झांझ-मंजीरे, मृदंग बजेंगे। महंत नृत्य गोपाल दास महाराज के सानिध्य में जन्मोत्सव संपन्न होगा।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम की समय सारिणी
7 सितंबर की रात्रि में श्रीकृष्ण जन्म महाभिषेक कार्यक्रम श्रीभागवत भवन मंदिर में होगा।
श्री गणपति एवं नवग्रह स्थापना- पूजन आदि रात्रि 11:00 बजे से।
सहस्त्रार्चन (कमल पुष्प एवं तुलसीदल से) रात्रि 11:55 बजे तक।
प्राकट्य दर्शन हेतु पट बंद रात्रि 11:59 बजे।
प्राकट्य दर्शन/आरती रात्रि 12:00 बजे से 12:05 बजे तक।
पयोधर महाभिषेक कामधेनु रात्रि 12:05 बजे से 12:20 बजे तक।
रजत कमल पुष्प में विराजमान ठाकुरजी का जन्म महाभिषेक रात्रि 12:20 बजे से 12:40 बजे तक।
शृंगार आरती रात्रि 12:40 बजे से 12:50 बजे तक।
शयन आरती रात्रि 1:25 बजे से 1:30 बजे तक।
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