- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- जीवन को सही दिशा देते...
धर्म-अध्यात्म
जीवन को सही दिशा देते है श्रीमद् भागवत गीता के 5 श्लोक
Ritisha Jaiswal
13 Dec 2021 12:58 PM GMT
![जीवन को सही दिशा देते है श्रीमद् भागवत गीता के 5 श्लोक जीवन को सही दिशा देते है श्रीमद् भागवत गीता के 5 श्लोक](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/12/13/1424407-cxxxxxxx.webp)
x
गीता जयंती का पर्व मार्गशीर्ष या अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाया जाता है
गीता जयंती का पर्व मार्गशीर्ष या अगहन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल गीता जंयती का पर्व 14 दिसंबर,दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से समस्त संसार को गीता का अमृत संदेश दिया था। श्रीमद् भागवत गीता न केवल सनातन धर्म का पवित्र ग्रन्थ है बल्कि संपूर्ण विश्व और मनाव जाति को अनुपम भेंट है। गीता विषम से विषम परिस्थितियों में सही मार्गदर्शन प्रदान करती है। यही कारण है कि महात्मा गांधी से लेकर आंइसटीन तक अनेकों महापुरूष और मनीषी गीता से प्रेरणा और मार्गदर्शन पाते रहे हैं। इस गीता जंयती पर हम अपको गीता के 5 ऐसे श्लोक के बारे में बता रहे हैं जो आपके जीवन को सही दिशा और सफलता का मार्ग पाने में मदद करेंगे.
1-जीवन के संघर्ष से घबराने से नहीं, अपितु उसका सामना करने से सफलता मिलती है...
हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥
अर्थ: यदि तुम (अर्जुन) युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और यदि विजयी होते हो तो धरती का सुख पा जाओगे... इसलिए उठो, हे कौन्तेय (अर्जुन), और निश्चय करके युद्ध करो।
2- सफलता पाने का मूल मंत्र है पूरी सामर्थ्य से प्रयास करना, परिणाम तय करना हमारे बस में नहीं है लेकिन सही प्रयास सही परिणाम देता है...
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अर्थ: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में कभी नहीं... इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो। कर्तव्य-कर्म करने में ही तेरा अधिकार है फलों में कभी नहीं। अतः तू कर्मफल का हेतु भी मत बन और तेरी अकर्मण्यता में भी आसक्ति न हो।
3- अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाला मनुष्य ही संसार पर विजय प्राप्त करता है...
श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
![Ritisha Jaiswal Ritisha Jaiswal](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/03/13/1540889-f508c2a0-ac16-491d-9c16-3b6938d913f4.webp)
Ritisha Jaiswal
Next Story