धर्म-अध्यात्म

पूर्णिया के 5 प्राचीन मंदिर, बिहार-बंगाल समेत नेपाल से आते हैं श्रद्धालु

Manish Sahu
12 Sep 2023 2:25 PM GMT
पूर्णिया के 5 प्राचीन मंदिर, बिहार-बंगाल समेत नेपाल से आते हैं श्रद्धालु
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धर्म अध्यात्म: बिहार के पूर्णिया में कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं. इसमें काली मंदिर भी शामिल है, जो कि सोन नदी तट पर स्थित है. यह लगभग 250 साल पुराना है. मान्‍यता है कि अमावस्या तिथि को मंदिर में विशेष पूजा अनुष्ठान होता है. इस मंदिर में बिहार, बंगाल, उड़ीसा और नेपाल से पूजा करने भक्त जुटते हैं.
पूर्णिया केनगर प्रखंड के मजरा पंचायत में स्थित मां कामाख्या मंदिर भी बहुत प्राचीन और एतिहासिक है. जानकारों को मानना है कि माता का यह मंदिर लगभग 400 साल से अधिक पुराना है. इस मंदिर में कुष्ठ या चर्म रोग के मरीज सिर्फ झाड़ू लगाने ठीक होते हैं.
पूर्णिया के प्राचीन और दार्शनिक मंदिरों में पूर्णिया का माता स्थान मन्दिर भी है, जिसका इतिहास 500 साल पुराना बताया जाता है. यह पूर्णिया के चूनापुर में स्थित है और इसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आकार अपनी मनोकामना मांगते हैं. यहां सुबह से लेकर शाम तक भक्तों की भीड़ लगती है.
पूर्णिया में माता पूरनदेवी मंदिर का मंदिर भी है. लोगों के मुताबिक, यह 600 साल पुराना मंदिर है. पूर्णिया का यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम तहजीब का प्रतीक है. इसी मंदिर के नाम पर पूर्णिया का नाम भी पड़ा हैं. माना जाता है कि इस मंदिर के लिए जमीन मुस्लिम समुदाय के शौकत अली नाम के नवाब ने दी थी. मंदिर में नेपाल, बंगाल सहित अन्य राज्यों से श्रद्धालु आते हैं. यहां संतान सुख की प्राप्ति होती है.
पूर्णिया के पूरनदेवी माता मंदिर कैंपस के दाहिने तरफ महादेव चौमुखी रूप में विराजमान हैं. यह 600 साल मंदिर है. वहीं, मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस चौमुखी शिवलिंग की स्थापना हट्टीनाथ नामक महात्मा के द्वारा की गई थी. इस जगह लोग दूर-दूर से आकर पूजा अर्चना करते हैं.
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