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हिंदू धर्म में प्रत्येक एकादशी का विशेष महत्व है और हर माह 2 एकादशी आती है. एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं और इस दिन लोग विधि-विधान के साथ पूजन व व्रत करते हैं. धर्म शास्त्रों के मुताबिक उत्पन्ना एकादशी के मिदन भगवान विष्णु से देवी एकादशी प्रकट हुईं थी इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. आइए जानते हैं इस बार कब है कि उत्पन्ना एकादशी और पूजा के शुभ योग.
उत्पन्ना एकादशी 2022 तिथि
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है और इस यह तिथि 19 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी. इसका समापन 20 नवंबर को सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत 20 नवंबर को रखा जाएगा.
उत्पन्ना एकादशी 2022 शुभ संयोग
इस बार 20 नवंबर को उत्पन्ना एकादशाी के दिन चार शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, प्रीति योग और आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है. इन सभी योगों में व्रत का फल दोगुना हो जाता है. उत्पन्ना एकादशी व्रत का का पारण 21 नवंबर को सुबह 6 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 9 बजे तक होगा.
उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम
आमतौर पर सभी एकादशी का व्रत एक समान होता है और इस दिन नियमों का विशेष तौर पर पालन करना चाहिए. हिंदू धर्म में एकादशी व्रत पापों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है. साथ ही यह व्रत करने से लोगों को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत करने वाले जातक को दशमी की रात को भोजन नहीं करना चाहिए बल्कि इस दौरान केवल फलाहार ही लेना चाहिए.
फिर एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजन करने के बाद दिन भर फलाहार पर रहें और रात के समय भी अन्न ग्रहण न करें. इस दिन चावल का सेवन करना निषेध होता है और घर में चावल बनाने भी नहीं चाहिए. साथ ही इस दिन महिलाओं का बाल भी नहीं धोने चाहिए.