धर्म-अध्यात्म

छत्तीसगढ़ के इस दुर्गा मंदिर से जुड़ी है 22 सौ साल पुरानी प्रेम कहानी, हर मुराद होती है पूरी

SANTOSI TANDI
9 Oct 2023 8:10 AM GMT
छत्तीसगढ़ के इस दुर्गा मंदिर से जुड़ी है 22 सौ साल पुरानी प्रेम कहानी, हर मुराद होती है पूरी
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जुड़ी है 22 सौ साल पुरानी प्रेम कहानी, हर मुराद होती है पूरी
नवरात्रि का पावन त्योहार बहुत जल्द शुरू होने वाला है। कई राज्यों और शहरों में तो नवरात्रि की शुरुआत एक महीना पहले ही शुरू है।
नवरात्रि के शुभ दिनों में कई भक्त मां दुर्गा के प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में दर्शन करने पहुंचते रहते हैं। भारत में एक से एक प्राचीन और पवित्र दुर्गा मंदिर मौजूद हैं, लेकिन कुछ दुर्गा मंदिर दिलचस्प कहानियों के लिए भी फेमस है।
छत्तीसगढ़ में मौजूद मां बम्लेश्वरी दुर्गा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर 22 सौ साल पुरानी प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है और जो भी यहां सच्चे मन से आता है उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। आइए इस मंदिर के बारे में जानते हैं।
छत्तीसगढ़ में कहां है मां बम्लेश्वरी
मां बम्लेश्वरी छत्तीसगढ़ में डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित एक बेहद ही प्राचीन और पवित्र मंदिर है। मां बम्लेश्वरी छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से करीब 36 किमी दूरी पर स्थित है।
डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर करीब 1600 फीट की ऊंचाई स्थित मां बम्लेश्वरी पूरे शहर के साथ-साथ अन्य शहरों के लिए काफी फेमस मंदिर है। आपको बता दें कि प्राचीन काल में डोंगरगढ़ नगरी धार्मिक विश्वास और श्रध्दा का प्रतीक रहा है। यह भी बता दें कि पुराने समय में डोंगरगढ़ कामाख्या नगरी के नाम से जाना जाता था।
मंदिर से जुड़ी 22 सौ साल पुरानी प्रेम कहानी
कहा जाता है कि डोंगरगढ़ में वीरसेन का शासन हुआ करता था और वो नि: संतान थे। संतान के लिए उन्होंने भगवती दुर्गा और शिवजी की उपासना की। उपासना के ठीक एक साल बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई और मां बम्लेश्वरी मंदिर का निर्माण करवाया। (छत्तीसगढ़ में घूमने की जगहें)
वीरसेन ने अपने पुत्र का नाम मदनसेन रखा। इसके बाद मदनसेन का पुत्र कामसेन ने राजगद्दी संभाली। कहा जाता है कि एक बार राजदरबार में नृत्य हो रहा था। जब नृत्य हो रहा था तभी माधवानल नाम का एक संगीतज्ञ राज दरबार पहुंचा, लेकिन उसे अंदर जाने नहीं दिया गया।
माधवानल और नर्तकी दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन राजा से ये सब देखा नहीं गया और नर्तकी को बंदी बना लिया गया। इसका घटना के बाद माधवानल मां बम्लेश्वरी के दरबार में पहुंचा और प्यार का गुहार लगाने लगा, लेकिन राजा के एक न सुनी।
भक्तों के लिए बेहद खास है मां बम्लेश्वरी मंदिर
मां बम्लेश्वरी का मंदिर भक्तों के लिए बेहद ही खास है। यहां सिर्फ स्थानीय भक्त की नहीं बल्कि, अन्य राज्यों से भी भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां दर्शन करने पहुंचते हैं उनकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। (छत्तीसगढ़ के हिल स्टेशन)
मां बम्लेश्वरी मंदिर पर्यटकों के लिए बेहद खास है। पहाड़ी की चोटी पर मौजूद होने के चलते यहां सैलानी भी घूमने पहुंचते रहते हैं। आपको बता दें कि मां बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए लगभग 11 सौ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
नवरात्रि में लगती हैं भक्तों की भीड़
नवरात्रि के दिनों में मां बम्लेश्वरी में लाखों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। नवरात्रि में इस मंदिर को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है। मंदिर तक पहुंचने वालीसीढ़ियां को भी लाइट्स से सजा दिया जाता है। मंदिर के आसपास मेले का भी आयोजन होता है।
मां बम्लेश्वरी मंदिर कैसे पहुंचें
मां बम्लेश्वरी मंदिर आसानी से पहुंच सकते हैं।
हवाई सफर-हवाई अड्डा रायपुर सबसे नजदीक का हवाई अड्डा है, जो देश के तमाम बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डा से टैक्सी या कैब लेकर आसानी से पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग- देश के किसी भी कोने से डोंगरगढ़ रेलवे जंक्शन पहुंचकर आसानी से मां बम्लेश्वरी मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग- राजधानी रायपुर आदि कई प्रमुख शहरों से डोंगरगढ़ के लिए बस या टैक्सियां चलती रहती हैं।
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