धर्म-अध्यात्म

मार्च महीने के शिवरात्रि, होली सहित कई प्रमुख व्रत त्योहार...जानें तिथि और उनका महत्व

Deepa Sahu
25 Feb 2021 3:11 AM GMT
मार्च महीने के शिवरात्रि, होली सहित कई प्रमुख व्रत त्योहार...जानें तिथि और उनका महत्व
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मार्च महीने के शिवरात्रि, होली सहित कई प्रमुख व्रत त्योहार...जानें तिथि और उनका महत्व

मार्च महीने में शिवरात्रि, होली समेत कई प्रमुख व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: मार्च महीने में शिवरात्रि, होली समेत कई प्रमुख व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं। इस महीने की शुरुआत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया के साथ अमृत काल से हो रही है। महीने की शुरुआत ही प्रथम प्रथम पूज्य गणेश भगवान के व्रत अंगारक चतुर्थी से हो रही है और फिर विजया एकादशी, महाशिवरात्रि से लेकर होली जैसे बड़े त्योहार भी इस खास महीने में आने वाले हैं। इन सभी व्रत त्योहारों का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। मार्च का महीना इसलिए भी खास है क्योंकि इस माह दो एकादशी आ रही हैं, जो विजया एकादशी और रंगभरी एकादशी हैं। ऐसे में यह माह विष्णु भक्तों के लिए बड़ा ही उत्तम माना जा रहा है। आइए जानें मार्च महीने आने वाले प्रमुख त्योहारों की तिथि और उनका धार्मिक दृष्टि से क्या महत्व है।

अंगारक चतुर्थी (2 मार्च, मंगलवार)
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अंगारक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे साल भर के चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त होता है।
कालाष्टमी (3 मार्च, बुधवार)
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत किया जाएगा। यह व्रत भगवान शिव के रूप कालभैरव को समर्पित है। इस दिन रात्रि जागरण कर भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनी जाती है और उनके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा जाता है। मान्यता है कि कालभैरव का व्रत करने से सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और तंत्र-मंत्र जैसी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
स्वामी दयानंद जयंती (विश्व महिला दिवस) (8 मार्च, सोमवार)
स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती 8 मार्च दिन सोमवार को मनाई जाएगी। साथ ही इसी दिन विश्व महिला दिवस भी है। स्वामी दयानंदजी का जन्म गुजरात के शहर टंकारा में हुआ था और उनकी माता का नाम यशोदाबाई और पिता का नाम करशनजी लालजी तिवारी था। उनके पिता एक अमीर, समृद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति थे। वह चाहते तो अपना जीवन सुख पूर्वक व्यतीत कर सकते थे लेकिन उन्होंने कई समाज सुधार के कार्य किए और आर्ज समाज की स्थापना की।
विजया एकादशी (9 मार्च, मंगलवार)
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकदाशी के नाम से जाना जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 9 मार्च दिन मंगलवार को है। शास्त्रों में विजया एकादशी को सभी व्रतों में सबसे उत्तम माना गया है और इस व्रत के करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। विजया एकादशी का व्रत करने से दोनों लोकों में विजय मिलती है। भगवान विष्णु की आराधना करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह सबसे उत्तम व्रत है।
महाशिवरात्रि (11 मार्च, गुरुवार)
हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पर पड़ने वाली चतुर्दशी की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बहुत धुमधाम से मनाया जाता है और इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। मान्यता है कि इस भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन सच्चे मन से शिव-पार्वती की पूजा करने से सभी शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
शनि अमावस्या (13 मार्च, शनिवार)
सनातन धर्म में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व है और यह शुभ तिथि इस बार 13 मार्च दिन शनिवार को पड़ रही है इसलिए इसे शनैश्चरी अमावस्या का योग बना है। अगर आप शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित हैं तो शनि अमावस्या का दिन आपके लिए विशेष शुभ है। इस अवसर शनिदेव की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं।
विनायक चतुर्थी (17 मार्च, बुधवार)

हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है और इस दिन व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने बाद लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। आजम निर्विकल्पम निराकारमेकम अर्थात भगवान गणेश अजन्मे, गुणातीत और निराकार हैं और उस परमचेतना के प्रतीक हैं, जो पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है।
होलाष्टक आरंभ (21 मार्च, रविवार)
होली से आठ दिन पहले हर साल होलाष्टक आरंभ हो जाता है। इस साल यह तिथि 21 मार्च दिन रविवार को है। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से फाल्गुन पूर्णिमा तक का समय होलाष्टक कहा गया है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित बताया गया है क्योंकि यह अशुभ समय होता है। खास तौर पर इस दौरान मांगलिक कार्य करना बहुत ही अशुभ माना गया है।
आमलकी एकादशी, रंगभरी एकादशी (25 मार्च, गुरुवार)
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी कहते हैं। इस बार यह शुभ तिथि 25 मार्च दिन गुरुवार को है। होली से पहले पड़ने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और जो लोग व्रत नहीं भी रख रहे हों, उनको आंवला का जरूर सेवन करना चाहिए। इससे कई गुणा पुण्य की प्राप्ति होती है। मथुरा में रंगभरनी एकादशी के दिन बांके बिहारी की होली का इस साल विशेष आयोजन होता है।
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