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धर्म-अध्यात्म
नवरात्रि में देवी की पूजा के 09 नियम, जिससे पूरी होती हैं कामनाएं
Shiddhant Shriwas
1 Oct 2021 2:04 AM GMT
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नवरात्रि महापर्व पर कन्याओं को शक्ति का स्वरूप मानते हुए उनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शक्ति की साधना अनादिकाल से चली आ रही है. मान्यता है कि नवरात्रि के महापर्व पृथ्वी के जीव ही नहीं बल्कि समस्त देवी-देवता, ऋषि-मुनि, यक्ष-किन्नर आदि शक्ति की साधना में लीन रहते हैं. हिंदू धर्म में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो नवरात्रि में देवी भगवती की साधना न करता हो क्योंकि जीवन में शक्ति की आवश्यकता सभी को होती है. सही कहें तो कोई भी साधना बगैर शक्ति के पूर्ण हो ही नहीं सकती और शक्ति की प्रथम रूप देवी दुर्गा ही मानी जाती हैं.
मां भगवती की पूजा सभी प्रकार से मंगल करने वाली है. नवरात्रि के महापर्व पर कन्याओं को शक्ति का स्वरूप मानते हुए कोई नवरात्रि पूरे 09 दिनों तक प्रतिदिन एक कन्या का पूजन करता है तो वहीं कुछ लोग अष्टमी या नवमी के दिन 09 कन्याओं को घर में बुलाकर विधि-विधान से उनकी पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है. आइए जानते हैं नवरात्रि में 09 देवियों की 09 दिनों में की जाने वाली पूजा के 09 बड़े लाभ के बारे में...
नवरात्रि में दो साल से लेकर 10 साल तक की कन्या के पूजन का विधान है. इसमें दो साल की कन्या जो कि कुमारी कहलाती है, उसके पूजन से सभी प्रकार के दु:ख और दारिद्रय का नाश होता है. तीन साल की कन्या के पूजन से धर्म-कर्म का आशीर्वाद मिलता है.
चार साल की कन्या सभी प्रकार से कल्याण का आशीर्वाद देती है तो वहीं पांच साल की कन्या के पूजन से आरोग्य और सम्मान का पुण्य फल मिलता है. छह साल की कन्या के पूजन से साधक को परीक्षा-प्रतियोगिता आदि में सफलता का आशीर्वाद मिलता है.
आठ साल की कन्या के पूजन से सत्ता-शासन से लाभ और नौ साल की कन्या के पूजन से सभी प्रकार के शत्रुओं का नाश होता है. दस साल की कन्या के पूजन से सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.
शक्ति की साधना से दूर होंगे 9 ग्रहों के कष्टनवरात्रि के महापर्व में शक्ति की साधना से सिर्फ सुख-समृद्धि आदि का आशीर्वाद ही नहीं प्राप्त होता बल्कि कुंडली में स्थित 09 ग्रहों से जुड़े दोष भी दूर होते हैं. मान्यता है कि शक्ति की विशेष साधना से कुंडली में स्थित काल सर्प दोष, कुमारी दोष, मंगल दोष आदि भी मुक्त हुआ जा सकता है.
नवरात्रि में रखें 9 चीजों का रखें विशेष ध्याननवरात्रि के महापर्व देवी की साधना बहुत ही नियम और संयम के साथ करनी चाहिए, अन्यथा लाभ की जगह नुकसान भी हो सकता है. यदि आप चाहते हैं कि आपको आपकी साधना का पूर्ण फल मिले तो नवरात्रि में देवी की साधना के लिए अपने हिसाब से एक उचित समय, स्थान और जप मंत्र तय करें और उसी समय, उसी स्थान पर अपने आसन में ही बैठकर सच्चे मन से देवी की साधना-आराधना करें. शक्ति की साधना करते समय मन, वचन और कर्म से पूरी तरह से शुद्ध रहें.
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