धर्म-अध्यात्म

हर रविवार पढ़ें सूर्यदेव की आरती, पूरी होंगी सारी मनोकामनाएं

Tara Tandi
30 April 2023 7:00 AM GMT
हर रविवार पढ़ें सूर्यदेव की आरती, पूरी होंगी  सारी  मनोकामनाएं
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सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया है। वही रविवार का दिन भगवान श्री सूर्य देव की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। भक्त इस दिन प्रभु को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।

मान्यता है कि रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से साधक को अपार कृपा प्राप्त होती है साथ ही साथ दुखों का भी अंत हो जाता है। लेकिन अगर आपकी कोई विशेष मनोकामना है जो अभी तक पूरी नहीं हुई है तो ऐसे में आप हर रविवार के दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा में उनकी प्रिय आरती का पाठ जरूर करें मान्यता है कि इस आरती को करने से सूर्यदेव प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्यदेव की आरती।
श्री सूर्यदेव आरती—
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥


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