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सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत आज, जानें पूजा विधि

Subhi
2 Aug 2022 4:51 AM GMT
सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत आज, जानें पूजा विधि
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सावन मास के हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत मां पार्वती का समर्पित है। इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखते हैं। माना जाता है कि आज के दिन माता पार्वती के साथ शिवजी की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सावन मास के हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत मां पार्वती का समर्पित है। इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखते हैं। माना जाता है कि आज के दिन माता पार्वती के साथ शिवजी की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आज सावन मास का तीसरा मंगला गौरी व्रत रखा जा रहा है। जानिए पूजा विधि और किस स्तोत्र का पाठ करना होगा शुभ।

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि

सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ सुथरे और सूखे कपड़े पहन लें।

मां पार्वती का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके साथ इस मंत्र को बोले-मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरी प्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।

मां मंगला गौरी (मां पार्वती) की तस्वीर लेकर चौकी में लाल या सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर रख दें।

आटे से दीपक बनाकर घी भरकर मां पार्वती के सामने जला दें।

मां मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।

मां मंगला गौरी 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां तथा मिठाई अर्पण करें।

5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज आदि चढ़ा दें।

घी-दीपक जला दें।

अब मंगला गौरी व्रत की कथा पढ़ लें। इसके साथ ही मंगला गौरी स्तोत्र का भी पाठ करें।

अंत में विधिवत आरती कर लें

दिनभर व्रत रखकर एक बार अन्न ग्रहण करें।

मंगला गौरी स्तोत्रम्

रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।

हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके॥

हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।

शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके॥

मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले।

सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये॥

पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते।

पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्॥

मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।

संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्॥

देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।

प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे॥

तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्।

वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने॥

मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले।

इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं

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