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विनायक चतुर्थी व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत 03 मई दिन शुक्रवार को है। यह जून की पहली विनायक चतुर्थी व्रत है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि गणेश जी को समर्पित होती है किसी भी माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं। विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा का विधान है।
विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत में गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। विधि विधान से पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है, सुख एवं सौभाग्य बढ़ता है। गणेश जी की कृपा से बिजनेस और नौकरी में तरक्की मिलती है और सभी कष्ट, रोग और दोष दूर हो जाते हैं।
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
विनायक चतुर्थी व्रत में प्रातः काल स्नानादि करके लाल या पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद अब पूजा स्थल पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें तथा उन्हें सिंदूर का तिलक लगाएं। अब उनकी अति प्रिय चीज दूर्वा, फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें और गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। अंत में प्रणाम कर प्रसाद वितरण करें और पूरे दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन पंचमी तिथि में व्रत का पारण करें। पारण के दिन सुबह पुनः भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने का प्रावधान है।
पूजा का शुभ मुहुर्त
ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ : 2 जून दिन गुरुवार को देर रात 12 बजकर 17 मिनट पर
ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन : 3 जून शुक्रवार को देर रात 2 बजकर 41 मिनट पर
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी 2022 व्रत का प्रारंभ: 3 जून को सुबह से
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 10 बजकर 56 मिनट से दोपहर 1 बजकर 43 मिनट तक
विनायक चतुर्थी व्रत में ध्यान रखने वाली बातें
1-विनायक चतुर्थी व्रत करने वाले लोगों को व्रत के दिन संभव हो तो लाल रंग का वस्त्र पहनना चाहिए।
2- व्रत रखने के एक दिन पूर्व से मांस, मदिरा, तामसिक भोजन आदि का त्याग कर देना चाहिए।
3-गणेश जी की पूजा में तुलसी का उपयोग न करें क्योंकि तुलसी को गणेश जी ने श्राप दिया था।
4-गणेश जी को कभी भी सूख और बासी फूल न अर्पित करें, ऐसा करने से आर्थिक संकट आता है. उनको पीले और लाल ताजे फूल चढ़ाने चाहिए।
5- गणेश जी को दूर्वा बहुत पसंह है, इसलिए आप पूजा के समय दूवा की 5, 11 या 21 गांठें गणपति बप्पा को चढ़ा सकते हैं।
6-गणेश जी को मोदक या बूंदी के लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
7-गणेश जी की पूजा करते समय विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ अवश्य पढ़ना चाहिए।
8-विनायक चतुर्थी वाले दिन चंद्रमा को न देखें, इससे झूठा कलंक लगता है।