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- बड़ा मंगल के साथ मई...
मई माह के तीसरे सप्ताह की शुरुआत वैशाख पूर्णिमा के साथ हो रही है। इसके साथ ही अंत कालाष्टमी के साथ हो रहा है। इस दिन बाबा भैरव नाथ की पूजा विधि विधान से की जाती है। मई माह के तीसरे सप्ताह कई बड़े व्रत त्योहार पड़ रहे हैं। क्योंकि इसी सप्ताह के साथ ज्येष्ठ मास की शुरुआत हो जाएगी। हिंदी पंचांग के अनुसार, इस माह को काफी खास माना जाता है। इतना ही नहीं ज्येष्ठ मास के हर मंगलवार को बड़े मंगल या बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा सप्ताह ही शुरुआत में ही साल का पहला चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है जोकि पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। आइए जानते हैं मई माह के तीसरे सप्ताह पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहारों के बारे में।
16 मई, सोमवार- वैशाख पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण
सप्ताह की शुरुआत वैशाख पूर्णिमा के साथ हो रही है। इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन को जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे पर्व को बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि मान्यता है कि भगवान बुद्ध श्री हरि विष्णु जी के 9वें अवतार है। इस दिन भगवान बुद्ध के अलावा भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा की जाती है।
सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार को ही साल 2022 का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है। जोकि पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। भारत के समयानुसार साल का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को सुबह 8 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा जो 10 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। यह ग्रहण भारत में नहीं नजर आएगा। इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। ये चंद्र ग्रहण अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिमी यूरोप, दक्षिण-पश्चिमी एशिया, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अफ्रीका, अधिकांश उत्तरी अमेरिका, हिंद महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका आदि देशों में दिखाई देगा।
17 मई, मंगलवार- बड़ा मंगल
ज्येष्ठ मास के हर मंगलवार को बुढ़वा मंगल या बड़े मंगल पड़ेगा। इस दिनों में भगवान हनुमान की पूजा पाठ किया जाएगा। इस सप्ताह से ही बड़ा मंगल की शुरुआत हो रही है। बता दें कि ज्येष्ठ मास में 5 बड़े मंगल पड़ रहे हैं जो 17 मई से शुरू होकर 14 जून तक चलेंगे। इस दौरान पवनपुत्र हनुमान की विधि-विधान से पूजा करने के साथ व्रत आदि किया जाता है। मान्यता है कि इन दिनों में पूजा करने से प्रेत बाधा, दुखों और कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। बड़े मंगल के दौरान बजरंग बाण का पाठ तो अवश्य करना चाहिए।
19 मई, गुरुवार- संकष्टी चतुर्थी
हर माह की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, हर माह दो चतुर्थी पड़ती है। पहली कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी पड़ रही हैं। इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम ले जाना जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाएगी।
22 मई, रविवार-कालाष्टमी
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव के पांचवें अवतार काल भैरव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन काल भैरव की विधि-विधान से पूजा करने से दुख, दरिद्रता और परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है।