धर्म-अध्यात्म

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन करें नारायण स्तोत्र का पाठ, मनोकामना होगी पूरी

Subhi
12 Jan 2022 1:42 AM GMT
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन करें नारायण स्तोत्र का पाठ, मनोकामना होगी पूरी
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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन श्री हरि विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। प्रत्येक हिंदी माह में दो बार एकादशी की तिथि आती है।पहली एकादशी तिथि कृष्ण पक्ष में आती है

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन श्री हरि विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। प्रत्येक हिंदी माह में दो बार एकादशी की तिथि आती है।पहली एकादशी तिथि कृष्ण पक्ष में आती है जबकि दूसरी शुक्ल पक्ष में । पंचांग गणना के अनुसार 13 जनवरी, दिन मंगलवार को पौष माह की एकादशी तिथि पड़ रही है। इस एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। ये इस साल का पहला एकादशी व्रत है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन विधि पूर्वक श्री हरि विष्णु का पूजन करने से पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए ही इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन पीले रंग के वस्त्र पहन करें। इसके साथ ही भगवान विष्णु को पूजन में उन्हें हल्दी मिश्रित जल और पीले रंग के फूल और मिठाईयां चढ़ानी चाहिए। पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय रंग है। मनावाछिंत फल पाने के लिए पुत्रदा एकादशी के दिन नारायण स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। नारायण स्तोत्र सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। पूजन के अंत में भगवान विष्णु की आरती का पाठ करना चाहिए।

नारायण स्तोत्र

नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥

घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा ॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥

पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना ॥

मंजुलगुंजा गुं भूषा मायामानुषवेषा ॥

राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका ॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा ॥

बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा ॥


वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा ॥

जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा ॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर ॥

अधबकक्षयकंसारेकेशव कृष्ण मुरारे॥

हाटकनिभपीताम्बर अभयंकुरु मेमावर ॥

दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा ॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा ॥

शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा ॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा ॥

ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा ॥

जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला ॥

दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा ॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा ॥

वालिविनिग्रहशौर्यावरसुग्रीवहितार्या॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर ॥

जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा ॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणगु विविधधनाढ्या ॥

गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन ॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा ॥

अचलोद्घृतिद्घृ


ञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर ॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा ॥

भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर ॥

। इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितंनारायणस्तोत्रंसम्पूर्णम्।



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