प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ में मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मकर संक्रांति पर सुबह से ही पूजा-अर्चना के साथ दान-पुण्य का दौर जारी रहा। आसमान में पतंग उड़ाने वालों के बीच रस्साकशी शुरू हो गई। एक ओर जहां तिल-गुड़ की मिठास घुली रही, वहीं दूसरी ओर रंग-बिरंगी पतंगों से आसमान रंगीन हो गया। …
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ में मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मकर संक्रांति पर सुबह से ही पूजा-अर्चना के साथ दान-पुण्य का दौर जारी रहा। आसमान में पतंग उड़ाने वालों के बीच रस्साकशी शुरू हो गई। एक ओर जहां तिल-गुड़ की मिठास घुली रही, वहीं दूसरी ओर रंग-बिरंगी पतंगों से आसमान रंगीन हो गया। युवाओं ने फिल्मी गानों पर थिरकते हुए पतंगबाजी का लुत्फ उठाया और खूब मौज-मस्ती की। 'वो काटा…', 'वो गया की…' आवाज गूंजती रही। बच्चों और युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग भी पतंग उड़ाते नजर आए। लोग सुबह से ही मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए पहुंचने लगे। गरीबों को गर्म कपड़े बांटे। मकर संक्रांति पर्व के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा वर्षों पुरानी है। प्रतापगढ़ शहर एकमात्र ऐसा शहर है।
जहां लोग पतंग उड़ाने के लिए छतों पर नहीं बल्कि अटल रंग मंच मैदान पर आते हैं और शहरवासी एक जगह एकत्र होकर पतंग उत्सव मनाते हुए पतंग उड़ाते हैं। दिनभर पतंगबाजी का दौर जारी रहा। अटल रंगमंच मैदान में पतंगबाजी के साथ-साथ मेले का भी आयोजन किया जाता है। लोग अपने पूरे परिवार के साथ इस मैदान में आते हैं और सभी को पतंग उड़ाते हुए देखते हैं और मेले का आनंद लेते हैं। सुबह 10:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक युवाओं की टोली थियेटर मैदान में सामूहिक रूप से पतंग उड़ाते नजर आये. इस दौरान देशभक्ति और फिल्मी गानों पर डांस करते हुए पतंगें उड़ाई गईं। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी पतंग उड़ाते नजर आए। पतंगबाजी में लड़कियां भी पीछे नहीं रहीं। ऐसा लग रहा था मानों पतंग काटने की होड़ मची हो। यह दौर सुबह से शुरू होकर शाम साढ़े छह बजे तक जारी रहा।