शरीर से संसार के कार्य करें व मन और बुद्धि से प्रभु के रहे
भीलवाड़ा। शहर में चित्तौडगढ़़ रोड पर सुजुकी एंक्लेव स्थित जगन्नाथ इस्कॉन मंदिर में चल रही भागवत कथा के छठे दिन कृष्ण रूकमणी विवाहोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान भगवान कृष्ण की बारात व विवाह की झांकी सजाई गई। कथा वाचक पंडित शिवप्रकाश शास्त्री ने कहा कि जीवन में सत्संग का होना बहुत जरूरी है। …
भीलवाड़ा। शहर में चित्तौडगढ़़ रोड पर सुजुकी एंक्लेव स्थित जगन्नाथ इस्कॉन मंदिर में चल रही भागवत कथा के छठे दिन कृष्ण रूकमणी विवाहोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान भगवान कृष्ण की बारात व विवाह की झांकी सजाई गई। कथा वाचक पंडित शिवप्रकाश शास्त्री ने कहा कि जीवन में सत्संग का होना बहुत जरूरी है। सत्संग करने से हमें अच्छे संस्कार आते हैं। जिससे विचार अच्छे होते हैं और विचार अच्छा होने से मन अच्छा होगा। अच्छा मन से भगवान तो प्रसन्न होते ही हैं। साथ ही कार्य क्षेत्र में भी उन्नति होती है। जीवन में समर्पण भाव होना चाहिए। भगवान का यह सत्य वचन है कि यदि जीव मुझे समर्पण कर देता है, तन मन से समर्पित हो जाता है तब में उसके समस्त पाप उसी समय नष्ट कर देता हूं। हमें भगवान के प्रति समर्पण होना चाहिए। हम शरीर से संसार के कार्य करें।
अपने मन और बुद्धि से प्रभु के हो कर रहे। उनका स्मरण और उनका धन्यवाद करते रहना चाहिए। यही सास्वत भजन, त्याग ओर तपस्या है। ऐसे जीव की सद्गति निश्चित रूप से हो जाती है यही भाव सबसे उत्तम है। माता रुक्मणी ने भी समर्पण भाव से कृष्ण को याद कर सर्वस्व मान कर विवाह निवेदन किया। जिसके बाद कृष्ण ने लीला कर माता रुक्मणी से विवाह किया। इस अवसर पर धूमधाम से श्री कृष्ण की बारात निकाली गई। कृष्ण-रुक्मणी विवाह की झांकी सजाई गई। सुदामा चरित्र की कथा के साथ कथा का विश्राम होगा। आयोजक परिवार के योगेश भंडिया ने बताया की कथा में प्रस्तुत भजन आज मेरे श्याम की शादी है, मेरे घनश्याम की शादी है पर श्रद्धालुओं ने खुब नृत्य किया। सांसद सुभाष बहेडिय़ा, नगर परिषद राकेश पाठक आदि ने कथा में पहुंचकर व्यासपीठ पर कथावाचक महाराज का अभिनन्दन किया।