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पाकिस्तान: इमरान सरकार ने Houbara पक्षियों के शिकार के लिए कतर के शाही परिवार को दी अनुमति

Neha Dani
17 Dec 2020 3:41 AM GMT
पाकिस्तान: इमरान सरकार ने Houbara पक्षियों के शिकार के लिए कतर के शाही परिवार को दी अनुमति
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आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा पाकिस्तान (Pakistan) अब बेजुबानों के खून से पैसा कमाने में जुट गया है.

आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा पाकिस्तान (Pakistan) अब बेजुबानों के खून से पैसा कमाने में जुट गया है. इमरान खान (Imran Khan) सरकार ने कतर के शेख तमीम बिन हमद अल-थानी और उनके परिवार के 14 अन्‍य सदस्यों को हुबारॉ (Houbara) पक्षियों के शिकार की अनुमति दे दी है. जबकि हुबारा पक्षियों की तेजी से कम हो रही तादाद के चलते न केवल दुनियाभर में बल्कि पाकिस्‍तान में भी इसका शिकार वर्जित है. इसके बावजूद इमरान खान ने पैसों के लालच में पक्षियों के शिकार की अनुमति प्रदान कर दी है.

तब Imran ने किया था विरोध
यहां गौर करने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री बनने से पहले इमरान खान (Imran Khan) ने हुबारॉ पक्षियों के शिकार का विरोध किया था, लेकिन अब जब पाकिस्तान उनकी गलत नीतियों के चलते कंगाली की कगार पर पहुंच गया है तो वो सबकुछ भूलकर बस पैसा कमाने में लगे हैं. माना जा रहा है कि इससे पाकिस्तान को करोड़ों रुपये की कमाई हो सकती है. पाकिस्तानी अखबार DAWN ने अपनी रिपोर्ट में इमरान सरकार के इस अनुचित खेल का खुलासा किया है.
मात्र 5 दिनों में मिली Permission
रिपोर्ट के मुताबिक, कतर के शेख परिवार को मात्र 5 दिन में ही शिकार करने की अनुमति मिल गई. विदेश मंत्रालय के डिप्टी चीफ ऑफ प्रोटोकॉल मोहम्मद अदील परवेज ने शिकार के परमिट जारी किए हैं. शिकारी 1 नवंबर, 2019 से 31 जनवरी, 2020 के बीच 10 दिन तक हुबारॉ का शिकार कर सकेंगे. इस दौरान उन्हें अधिकतम 100 हुबारॉ पक्षियों के शिकार की अनुमति होगी. वैसे, इससे पहले भी पाकिस्तानी सरकार पैसों की चाह में बेजुबानों की मौत का सौदा करती रही है.
हर साल होती है इतनी Income
मध्‍य एशियाई देशों में पाए जाने वाले हुबारॉ पक्षी भीषण ठंड से बचने के लिए पाकिस्‍तान में शरण लेते हैं. बता दें कि हुबारा पक्षियों की तादाद बहुत तेजी से कम होती जा रही है और इसे देखते हुए पाकिस्तान सहित दुनियाभर में इसका शिकार प्रतिबंधित है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान खान जब सत्‍ता में नहीं थे तब उन्होंने हुबारॉ पक्षियों के शिकार की अनुमति देने का विरोध किया था और खैबर पख्‍तूनख्‍वा में शिकार की अनुमति नहीं दी थी जहां पर उनकी पार्टी का शासन था. एक अनुमान के मुताबिक, पाकिस्‍तान के बलूचिस्तान प्रांत को शिकार के हर सीजन में कम से कम 2 अरब रुपये की कमाई होती है.



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