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वाइस एडमिरल धनखड़ बने प्रोजेक्ट 'सी-बर्ड' के महानिदेशक

jantaserishta.com
28 Aug 2024 11:33 AM GMT
वाइस एडमिरल धनखड़ बने प्रोजेक्ट सी-बर्ड के महानिदेशक
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नई दिल्ली: वाइस एडमिरल राजेश धनखड़ प्रोजेक्ट सी-बर्ड के महानिदेशक नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने बुधवार को अपना कार्यभार संभाला। कारवार नौसेना बेस पर वर्तमान में यह सबसे बड़ा रक्षा बुनियादी ढांचे का प्रोजेक्ट है। उन्होंने वाइस एडमिरल तरुण सोबती से इस प्रोजेक्ट का कार्यभार ग्रहण किया है।
वाइस एडमिरल राजेश धनखड़ 1 जुलाई 1990 को भारतीय नौसेना में कमीशन हुए थे। वह नेविगेशन और डायरेक्शन के विशेषज्ञ हैं। फ्लैग ऑफिसर धनखड़, प्रतिष्ठित नौसेना अकादमी और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्होंने जापान में हायर कमांड कोर्स किया है। उनके 34 साल के शानदार करियर के दौरान युद्धपोत पांडिचेरी, गोदावरी, कोरा और मैसूर पर उनकी विशेषज्ञ नियुक्तियां रही हैं।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एडमिरल धनखड़ तत्काली 'प्रोजेक्ट 15 प्रशिक्षण टीम', नेविगेशन एवं डायरेक्शन स्कूल और एमआईडीएस विंग ऑफिसर कैडेट स्कूल सिंगापुर में इंस्ट्रक्टर के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी कमांड नियुक्तियों में 'आईएनएस दिल्ली' के कार्यकारी अधिकारी और आईएनएस घड़ियाल', मुंबई और विक्रमादित्य के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में नियुक्तियां शामिल हैं।
उनकी उल्लेखनीय स्टाफ नियुक्तियों में नौसेना योजना निदेशालय में संयुक्त निदेशक और निदेशक, कार्मिक निदेशालय में प्रधान निदेशक/कमोडोर (कार्मिक) के रूप में नियुक्तियां शामिल हैं। फ्लैग रैंक में उन्होंने चीफ स्टाफ ऑफिसर (प्रशिक्षण), फ्लैग ऑफिसर सी ट्रेनिंग, कमांडेंट नेवल वॉर कॉलेज और फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग ईस्टर्न फ्लीट की जिम्मेदारियां निभाई हैं।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, धनखड़ ने आईएनएस विक्रांत के परीक्षणों की देखरेख के लिए परीक्षण टीम के अध्यक्ष की अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी संभाली हैं। फ्लैग ऑफिसर धनखड़ को यमन के अदन और अल-होदेदा से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी संचालन (एनईओ) के लिए 2015 में नौ सेना पदक (वीरता) प्राप्त हुआ है। फ्लीट कमांडर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, पिछले 10 महीनों में, पूर्वी बेड़े ने कई मिशन आधारित और परिचालन तैनाती, और मित्रवत विदेशी नौसेनाओं के साथ 'मिलन 24' सहित कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय जुड़ावों को पूरा करते हुए उच्च स्तर की युद्ध तत्परता और परिचालन गति बनाए रखी है।
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