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बारी: जी7 देश के नेता तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन के लिए इटली में मिल रहे हैं। माना जा रहा है इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा हावी रहेगा। साथ ही गाजा में चल रहे युद्ध के अलावा चीन के साथ बढ़ते व्यापार और सुरक्षा पर भी चर्चा होगी।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए न्योता दिया गया है। यह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का अंतिम जी7 शिखर सम्मेलन हो सकता है। इसी साल अमेरिका में चुनाव है। बाइडेन का मुकाबला डोनाल्ड ट्रंप से है।
इसके अलावा यूरोपीय नेता भी अपने देश में विपक्ष के हमले का दबाव झेल रहे हैं। फ्रांस और जर्मनी में पिछले हफ्ते यूरोपीय संसद के चुनाव में दक्षिणपंथी दलों की बड़ी जीत हुई है। उनके देश की राजनीति पर उठ रहे सवाल के बीच फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ यहां सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचेंगे।
उधर, ब्रिटेन में 14 साल की कंजर्वेटिव सरकार के बाद प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को आम चुनाव में विपक्षी लेबर पार्टी से करारी हार का सामना करना पड़ सकता है। यहां चुनाव 4 जुलाई को है। हालांकि इस सम्मेलन के एजेंडे में यूक्रेन सबसे ऊपर होगा। जी7 में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ हिस्सा ले रहे हैं।।
यूक्रेन को जी7 से एक बड़ा सहायता पैकेज मिलने की उम्मीद है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि महीनों की बातचीत के बाद, बाइडेन और जेलेंस्की जी7 के दौरान अमेरिका और यूक्रेन के बीच एक द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे।
वाशिंगटन ने शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर यह भी घोषणा की कि वह रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था से जुड़े 300 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा रहा है, जिसमें वित्तीय संस्थान, मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज और चीनी कंपनियां शामिल हैं। जेलेंस्की के अलावा, तुर्की, ब्राजील और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इटली वार्ता में भाग लेंगे।
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