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गोबर से कोई इलाज नहीं, अंधविश्वास से बचे : डॉ. दिनेश मिश्र

Nilmani Pal
24 April 2023 3:39 AM GMT
गोबर से कोई इलाज नहीं, अंधविश्वास से बचे : डॉ. दिनेश मिश्र
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रायपुर. वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि बरसात के मौसम में बारिश के के दौरान बादलों की गड़गड़ाहट के साथ बिजली गिरने की अनेक घटनाएं सामने आती हैं. जिसमें व्यक्ति को त्वरित चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता होती है. लेकिन अंधविश्वास के चलते पीड़ित व्यक्ति को गोबर के गड्ढे में कंधे तक गाड़ कर इलाज करने के मामले छत्तीसगढ़, बिहार ,झारखण्ड, ओडिशा के ग्रामीण अंचलों से सामने आते हैं. गंभीर रूप से घायल मरीज को अस्पताल पहुंचाने की बजाय गोबर के गड्ढे में डालकर ठीक होने का इंतजार करते रहना इलाज नहीं यह अंधविश्वास है.

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कल सरगुजा के अलग-अलग क्षेत्रों में बिजली गिरने की घटनाएं हुई हैं, जिसमें 6 ग्रामीण प्रभावित हुए है. बैकुंठपुर के बहेराटोला ग्राम में बिजली गिरने की घटना पर 3 ग्रामीणों की मृत्यु हो गई. ग्रामीणों ने उन्हें ठीक करने की उम्मीद में गोबर में गाड़ कर रखा था. बाद में उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया. इसके पहले जशपुर, सरगुजा में बिजली गिरने की घटना सामने आई थी, वहां उन्हें ग्रामीणों ने उपचार के लिए एक गड्ढे में डाल कर गोबर भर दिया. बाद में समझाने बुझाने पर उन्हें अस्पताल भेज गया. तब तक उनकी मृत्यु हो गयी थी. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल सरगुजा के बैकुंठपुर कोरिया, रायगढ़ तथा अन्य ग्रामीण क्षेत्र से बिजली गिरने पर गोबर के गड्ढे में डालने की घटनाएं सामने आयी है, जिनमें पीड़ित व्यक्ति अपनी जान से हाथ धो बैठता है.

डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया दुनिया में हर साल बिजली गिरने की करीब 2 लाख 40 हज़ार घटनाएं दर्ज होती हैं. इन घटनाओं में कितनी जानें जाती हैं, इसे लेकर कई तरह के अध्ययन अलग आंकड़े बताते हैं. एक स्टडी की मानें तो दुनिया में 6 हज़ार लोग हर साल बिजली गिरने से मारे जाते हैं. दूसरी तरफ, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो सिर्फ भारत में प्रतिवर्ष करीब 2500 व्यक्तियों की मृत्यु बिजली गिरने से होती है, जबकि इनसे कई गुणा व्यक्ति बिजली गिरने से आहत होते है अनेक व्यक्ति अस्पताल पहुंचाए जाने के पहले ही दम तोड़ देते है और हजारों तो कुछ अंधविश्वास और स्थानीय स्तर पर झाड़फूंक, उपचार करते रहने के कारण अस्पताल ही नहीं ले जाए जाते. कुछ मामलों में तो पीड़ित को 2 घण्टे गोबर में गाड़ने पर ठीक नही होने पर उसे दुबारा गोबर में ही गाड़ दिया गया.

डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया आकाश में बादलों के टकराव/घर्षण से इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न होती है जो तीव्र गति से पृथ्वी की ओर आती है इसे ही बिजली गिरना, तड़ित कहते हैं. आकाशीय बिजली में 10 करोड़ वोल्ट और 10 हजार एम्पीयर से अधिक करेंट होता है जो बहुत शक्तिशाली होता है. हम अपने घरों जो विद्युत उपयोग करए हैं वह मात्र 220 वोल्ट होता है. जब बादलों में घर्षण से विद्युत उत्पन्न होती है तब यह 3 लाख किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से पृथ्वी पर आती है और इसमें 15 हजार डिग्री फैरनहाईट की ऊष्मा होती है जो सूर्य की ऊष्मा से भी अधिक होती है, चूँकि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से अधिक होती है इसलिए बिजली गिरती हुई पहले दिखाई देती है ,आवाज बाद में सुनाई देती है.


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