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शहजाद पूनावाला ने डीके शिवकुमार के बयान को बताया कांग्रेस के लिए 'खतरे का संकेत'

jantaserishta.com
12 Jun 2024 7:37 AM GMT
शहजाद पूनावाला ने डीके शिवकुमार के बयान को बताया कांग्रेस के लिए खतरे का संकेत
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दिल्ली: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में कांग्रेस के प्रदर्शन को पार्टी के लिए ‘खतरे की घंटी’ बताया है। राजनीतिक पंडितों ने यहां तक दावा किया है कि उनके इस बयान ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को परेशान कर दिया है। वहीं, अब भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने इसे कांग्रेस के लिए ‘खतरे का संकेत’ बताकर पार्टी को सतर्क रहने की हिदायत दी है।
शहजाद पूनावाला ने कहा, “ 'इंडिया' गठबंधन को एक और झटका लगा है। झुनझुना ढूंढते हुए इन लोगों के लिए एक और खतरे की घंटी बज चुकी है। पहले गोपाल राय ने कहा दिल्ली में अलायंस खत्म। इसके बाद हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा ने कहा अलायंस खत्म। वहीं बंगाल, केरल में पहले से ही अलायंस नहीं था। इसके अलावा, नेता प्रतिपक्ष को लेकर पिछले कई दिनों से झगड़ा चल रहा है। उद्धव ठाकरे खफा हैं और कांग्रेस पार्टी में भी खतरे की घंटी बज चुकी है।“
उन्होंने आगे कहा, “डी.के. शिवकुमार कह रहे हैं कि कर्नाटक में आए नतीजे बहुत बड़े खतरे का संकेत हैं और अगर हमने इस पर आत्मचिंतन नहीं किया तो आगामी दिनों में हमारे लिए स्थिति गंभीर हो सकती है। इसका मतलब डी.के. शिवकुमार बनाम सिद्दारमैया फिर से शुरू हो गया है। इंडी अलायंस के नेता एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। कांग्रेस के नेता एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलने पर आमादा हो चुके हैं। यह टुकड़े-टुकड़े अलायंस है। इन लोगों के पास न कोई विजन है, न कोई मिशन। यह लोग कुंठा में झूठी बातें फैला रहे हैं। इन लोगों को जनता के हित से कोई सरोकार नहीं है और कन्फ्यूजन में आकर एक-दूसरे से लड़ रहे हैं।“
भाजपा नेता ने कहा, “इंडी अलायंस के नेताओं को फिलहाल मैं यही हिदायत देना चाहूंगा कि आप लोग दूसरे के यहां पर झुनझुना ढूंढना बंद कीजिए और अपने अंदर जो कमी है, उसे सुधारने की दिशा में कदम उठाएं, तो आपके लिए उचित रहेगा।“
बता दें कि डी.के. शिवकुमार के बयान से कांग्रेस में हड़कंप मचना लाजमी है, क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान सिद्दारमैया और डी.के. शिवकुमार के बीच शीतयुद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी। एक पक्ष सिद्दारामैया को सीएम पद की कमान सौंपे जाने की पैरोकारी कर रहा था जबकि दूसरा पक्ष डी.के. शिवकुमार को। दोनों पक्षों के पास अपने-अपने तर्क थे। पहला पक्ष यह कहते नहीं थक रहा था कि सिद्दारमैया को उनकी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए सीएम पद सौंपा जाना चाहिए। वहीं, दूसरा पक्ष यह कह रहा था कि डी.के. शिवकुमार ने कांग्रेस को प्रदेश में जमीनी स्तर पर मजबूत किया है। ऐसे में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहला हक उनका बनता है।
ऐसी गंभीर स्थिति में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने सिद्दारमैया को मुख्यमंत्री पद सौंपा और डी.के. शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाया। लेकिन, अब जिस तरह का बयान शिवकुमार की ओर से आया है, उसे ध्यान में रखते हुए बताया जा रहा है कि उनके पुराने जख्म हरे हो गए हैं।
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