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नई दिल्ली: पत्रकारिता और मीडिया कम्युनिकेशन स्ट्रेटजी के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय का रविवार को एक दुर्घटना में निधन हो गया। उनके आकस्मिक और असामयिक निधन से समूचा मीडिया जगत स्तब्ध है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उपाध्याय के घर पर निर्माण कार्य के दौरान दुर्घटनावश वह गिर गये थे। उन्हें गंभीर चोटें आई। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी जान नहीं बच सकी। उपाध्याय ने टेलीविजन और डिजिटल मीडिया दोनों में व्यापक योगदान दिया। टेलीविजन, प्रिंट, रेडियो और डिजिटल मीडिया में चार दशकों से अधिक के अपने करियर के दौरान उन्होंने प्रमुख मीडिया संगठनों में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।
मीडिया उद्योग की बारीकियों की गहरी समझ, पत्रकारिता की ईमानदारी के प्रति समर्पण और तेजी से बदलते उद्योग के साथ सामंजस्य बिठाने की उनकी कुशलता के लिए वह जाने जाते थे। उन्होंने हाल ही में "वेस्टर्न मीडिया नैरेटिव्स ऑन इंडिया : फ्रॉम गांधी टू मोदी" नामक एक किताब लिखी थी।
1959 में मथुरा में जन्मे उपाध्याय ने 1980 के दशक की शुरुआत में पत्रकारिता को करियर के रूप में अपनाया। देश में टेलीविजन पत्रकारिता के प्रारंभिक वर्षों के दौरान उनके करियर का ग्राफ अचानक काफी ऊंचा गया। उन्होंने कई प्रमुख नेटवर्कों के लिए न्यूज कवरेज और प्रोग्रामिंग रणनीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें ज़ी न्यूज़ के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका के लिए सबसे ज़्यादा जाना जाता था। वहां उन्होंने चैनल के संपादकीय निर्देशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने ज़ी न्यूज़ को देश के सबसे भरोसेमंद समाचार चैनलों में से एक के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके नेतृत्व में ज़ी न्यूज़ ने अपनी पहुंच और प्रभाव का काफ़ी विस्तार किया, और पूरे भारत में एक जाना-माना नाम बन गया। उनके कुशल मीडिया प्रबंधन और सामग्री वितरण के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोण के कारण उनके साथियों में भी उनका काफी सम्मान था।
अपने पूरे करियर के दौरान, उमेश उपाध्याय को ज़िम्मेदार पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता था। उन्होंने समाचारों के नैतिक प्रसार का समर्थन किया और पत्रकारों की अगली पीढ़ी को मार्गदर्शन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उपाध्याय के आकस्मिक निधन से मीडिया जगत स्तब्ध है। लगातार आ रहे श्रद्धांजलि और शोक संदेशों में उनके मित्र और पूर्व सहकर्मी उनके साथ बिताए समय को याद कर रहे हैं।
Apurva Srivastav
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