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उलानबटोर: मंगोलिया की राजधानी उलानबटोर में लोगों द्वारा ठंड से बचने के लिए जलाए जाने वाले ईंधन (तेल) आधारित हीटरों के कारण हवा की गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है। इस बार यहां असामान्य रूप से कड़ाके की ठंड पड़ रही है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, गुरुवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे तक के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के आंकड़ों के अनुसार, शहर के बाहरी गेर जिले में पीएम 2.5 का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक हो गया, जबकि राजधानी के आसपास के क्षेत्रों में यह स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय की गई सुरक्षा सीमाओं से काफी अधिक है।
देश के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पीएम 2.5 कण, जिनका व्यास 2.5 माइक्रोन या इससे कम होता है, इंसानी श्वसन तंत्र में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं।
उलानबटोर में वायु प्रदूषण लंबे समय से बड़ी समस्या रही है। यहां मंगोलिया की 35 लाख की आबादी का लगभग आधा हिस्सा रहता है। राजधानी की आधी से ज्यादा आबादी आसपास के इलाके में रहती है। जहां बुनियादी ढांचे जैसे कि जलापूर्ति, हीटिंग और सीवेज सिस्टम की हालत खराब है।
सर्दियों के दौरान गर्म रहने और खाना पकाने के लिए, स्थानीय लोग ईंधन और अन्य ज्वलनशील पदार्थों पर निर्भर रहते हैं। इसकी वजह से शहर का वायु प्रदूषण बढ़ जाता है।
इससे पहले 2000 के दशक की शुरुआत से ही मंगोलियाई सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई उपाय किए थे।इन उपायों में कच्चे कोयले की जगह बेहतर ईंधन का इस्तेमाल करना भी शामिल था। हालांकि, इन प्रयासों से उलानबटोर की वायु गुणवत्ता में अभी तक कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
ज्ञात हो कि मंगोलिया की जलवायु में महाद्वीपीय प्रभाव बहुत ज्यादा है। यहां सर्दियों का मौसम लंबा होता है और गर्मियों का छोटा। उलानबटोर में सर्दियों के दौरान अक्सर तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है।
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