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बुरी तरह हारने के बाद भी जीतने जैसा व्यवहार कर रहा विपक्ष : राज्यसभा सांसद अरुण सिंह
jantaserishta.com
10 Aug 2024 3:22 AM GMT
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नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद अरुण सिंह ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के प्रति विपक्ष के रवैये पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सभी को आसन का सम्मान करना चाहिए। विपक्ष जिस तरह से कोई न कोई बहाना ढूंढ़कर संसद भवन में हंगामा कर रहा है, वह अशोभनीय है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष बुरी तरह हारने के बाद भी ऐसे व्यवहार कर रहा है जैसे जीत गया हो। अगर इंडी गठबंधन के सभी दलों की सीटें जोड़ दी जाएं तो भी उन्हें भाजपा जितनी सीटें नहीं मिली हैं। जिस तरह से वे बार-बार स्पीकर के बारे में बात कर रहे हैं, उससे हम आहत हैं।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के नेताओं द्वारा चेयर के अपमान की कड़ी निंदा की है। सदन में उन्होंने कहा कि यह सदन केवल ईंट और पत्थरों का भवन नहीं है, यह लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है।
शिवराज सिंह चौहान ने अपने अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि मैं 6 बार लोकसभा और 6 बार विधानसभा का सदस्य रहा हूं। 12 बार मैं या तो विधानसभा में या तो लोकसभा में आया हूं, लेकिन अपने जीवन में मैंने प्रतिपक्ष का ऐसा अमर्यादित, अशोभनीय व्यवहार कभी नहीं देखा।
उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष के व्यवहार से मन व्यथित है, वेदना से भरा हुआ है। ये केवल आसंदी का अपमान नहीं है, ये देश के लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान है। ये लोकतंत्र का अपमान है, ये संविधान का अपमान है। आज ये सिद्ध हो गया है कि गैर जिम्मेदार प्रतिपक्ष देश को अराजकता में झोंकने का प्रयास कर रहा है।
बता दें कि राज्यसभा में शुक्रवार को जया बच्चन और सभापति जगदीप धनखड़ के बीच तीखा संवाद हुआ। धनखड़ ने जया बच्चन के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि राज्यसभा की एक वरिष्ठ सदस्य होने के नाते क्या आपके पास चेयर का निरादर करने का लाइसेंस है।
इससे पहले जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ की टोन (बोलने के तरीके) पर अपना विरोध जताया था। इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सभापति ने कहा कि मेरी टोन, मेरी भाषा मेरे टेंपर पर बात की जा रही है। पर मैं किसी और की स्क्रिप्ट के आधार पर नहीं चलता, मेरे पास अपनी खुद की स्क्रिप्ट है।
उधर बोलने न दिए जाने से नाराज विपक्ष ने इस बीच सदन का बहिष्कार किया और राज्यसभा से उठकर बाहर चले गए। सदन में विपक्ष के कई सदस्य नेता प्रतिपक्ष को बोलने का अवसर दिए जाने की मांग कर रहे थे।
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