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'वन नेशन, वन इलेक्शन' का प्रस्ताव लोकतंत्र के खिलाफ काला निर्णय : झामुमो

jantaserishta.com
14 Dec 2024 2:57 AM GMT
वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रस्ताव लोकतंत्र के खिलाफ काला निर्णय : झामुमो
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रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने केंद्रीय कैबिनेट में पारित ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को लोकतंत्र के खिलाफ ‘काला निर्णय’ करार दिया है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि जब देश का संविधान गढ़ा जा रहा था, तब बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने आशंका जताई थी कि देश कहीं सामाजिक लोकतंत्र को खोकर अधिनायकवाद की ओर न चला जाए। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की ओर बढ़ना बाबा साहेब के लोकतांत्रिक गणराज्य की परिकल्पना की हत्या करने के समान है।
उन्होंने कहा कि 2025 में आरएसएस 100वां वर्ष मनाने जा रहा है, लेकिन देश में लोकतंत्र और संविधान की मूल भावना को समाप्त करने की साजिश चल रही है। संविधान के आर्टिकल 368 में कहा गया है, संविधान के संशोधन में कोई मूलभूत परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन अगर होता भी है तो इसका प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत और तीन चौथाई राज्यों के विधानमंडलों से पारित होना चाहिए। लेकिन, जब केंद्रीय कैबिनेट से पारित प्रस्ताव को देखें, तो उसमें तीन चौथाई तो क्या, अब 50 प्रतिशत भी समर्थन की सूरत नहीं नजर आ रही।
भट्टाचार्य ने इस प्रस्ताव के प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह संघीय ढांचे पर आघात है। हम केंद्र और राज्यों के अस्तित्व की बात करते हैं। कई मामलों में कानून बनाने की शक्ति केंद्र और राज्य दोनों को है। क्या 'वन नेशन वन इलेक्शन' के प्रस्ताव से वो शक्तियां समाप्त नहीं हो जाएंगी?
उन्होंने आगे कहा कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' क्या क्षेत्रीय पार्टियों को समाप्त करने की साजिश नहीं है? बहुत भयानक अंधेरे की तरफ हम लोग जा रहे हैं। पूरी कार्रवाई भारत के बुनियादी सवालों से मुंह मोड़ने के लिए है। ये जो सोच है, मनु स्मृति की सोच है, सत्ता श्रेष्ठता की सोच है। आज जरूरत है कि जहां भी लोकतंत्र के पहरेदार हैं, इस प्रस्ताव के खिलाफ आज एकत्रित हो जाएं।
झामुमो नेता ने कहा कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में निर्वाचित सरकार को गिराकर अपनी नई सरकार बना लेने वाली भाजपा क्षेत्रीय दलों को कमजोर और समाप्त करना चाहती है। भाजपा ने पहले शिवसेना को तोड़ा फिर खा गए। फिर एनसीपी को तोड़ा और उसे खा गए। अब एनडीए में शामिल जदयू, लोजपा (रामविलास), तेलगुदेशम पार्टी एवं अन्य दलों के नेताओं को चाहिए कि वह इसका विरोध करें।
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