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'वन नेशन-वन इलेक्शन' का मतलब एक पार्टी का रूल : हुसैन दलवई

jantaserishta.com
15 Dec 2024 3:09 AM GMT
वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब एक पार्टी का रूल : हुसैन दलवई
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मुंबई: 'वन नेशन वन इलेक्शन' से जुड़े विधेयकों को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को दोनों विधेयकों को लोकसभा में पेश किया जाएगा।
इस पर जब महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता हुसैन दलवई से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, "यह नुकसानदेह होगा, क्योंकि हमारे देश में संघीय ढांचा है। ऐतिहासिक रूप से भारत कभी भी एक इकाई के रूप में एकीकृत नहीं था। यह ब्रिटिश काल के दौरान और महात्मा गांधी के आंदोलन के प्रयासों के माध्यम से एक साथ आया, इसे याद रखना चाहिए। हर क्षेत्र की भाषा और संस्कृति अलग-अलग है। केंद्र के दिमाग में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का मतलब एक पार्टी का रूल है। केंद्र सरकार यहां पर एक पार्टी का रूल लाना चाहती है। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि वह यह नहीं ला पाएंगे। संविधान में उसका कोई स्थान नहीं है। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' लोग नहीं मानेंगे।"
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ से पैसों की बचत पर उन्होंने कहा, "चुनाव में पैसे क्यों ज्यादा खर्च करते हैं। उनके दिमाग में बस यही है कि हिन्दू संस्कृति दूसरों पर लादनी है।"
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के बयान पर उन्होंने कहा, "उन्हें पता होना चाहिए देश में क्या चल रहा है। अब तक तो सुरक्षित थे, लेकिन जो देश में चल रहा है यह ठीक नहीं है। सत्ता में आने के बाद जिस तरह से लिंचिंग की जाती है, बुलडोजर से उनके घर तोड़ दिए जाते हैं, किसी को भी उठाकर अंदर (जेल में) डाल दिया जाता है...। आप कह रहे हैं कि यहां सभी सुरक्षित हैं। अगर आप कहते हैं कि यह देश मुसलमानों और ईसाइयों के लिए सुरक्षित है, तो फिर डर का माहौल क्यों बनाया जाता है।"
उन्होंने कहा, "भाजपा के लोग सेफ हैं, बाकि सभी लोग अनसेफ हैं।"
महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार पर उन्होंने कहा, "सरकार में लड़ाई है क्योंकि, एकनाथ शिंदे की अगुवाई में चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसे लेकर लड़ाई तेज हो गई। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनना चाहते थे क्योंकि चुनाव उनके नेतृत्व में हुए थे। महाराष्ट्र में सरकार बने 21 दिन हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने शपथ भी ले ली। दो उपमुख्यमंत्रियों ने भी शपथ ले ली। उसमें भी कई दिन निकल गए। मैं कहना चाहता हूं कि मंत्रिमंडल के विस्तार में इतने दिन क्यों लग रहे हैं। मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होने से कई कार्य ठप पड़े हैं।
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