Political Editor Zakir Ghursena
रायपुर। जनता से रिश्ता के राजनीतिक संपादक ज़ाकिर घुरसेना ने आज सुबह हुई तेज बारिश को लेकर पंक्तियां लिखी है। उन्होंने अपने फेसबुक पेज में वीडियो पोस्ट कर पंक्ति में लिखा, पानी रे पानी तेरा रंग कैसा। रंग तो कुदरत ने एक ही दिया है, उपर वाले ने सादा ही दिया है नीचे वालों ने रंग बदल दिया है। पानी गिरने का इंतजार तो सबको था किसान से लेकर दूसरे भी। हर कोई अपने अपने एंगल से देख रहे थे। किसान बारिश के बाद खेतों की ओर जाने बेताब थे तो कोई जल जनित बीमारियों से कमाई का सोच रहे होंगे। होंगे भी क्यों नही बड़ी रकम खर्च करके पढ़ने के बाद दुकान खुली है वसूली तो करेंगे ही।
बहरहाल शिद्दत की गर्मी के बाद इन दिनों का इंतजार था, कुदरत ने इंसान की एक मांग और पूरी कर दी। आज सुबह राजधानी में जमकर बरसे बादल, लग रहा है थोड़ी बहुत उमस बची होगी वो भी अब सब गायब। खाने पीने का आनन्द के बारे में लोग सोच रहे हैं दूसरी ओर निचली बस्तियों के लोगों के माथे पर फिर से चिंता की लकीरें उभर आई है। तेज़ बारिश से निचली बस्तियां पानी पानी हो जाता है तब समझ में आता है कि पानी रे पानी तेरा रंग कैसा। एक के लिए खुशी का रंग तो दूसरे के लिए रंज का रंग। वैसे रंज पानी के गिरने से नही होती बल्कि लचर सिस्टम से होती है, पूरी बजट होने के बाद भी अव्यवस्था का रंज, जानकारी देने के बाद भी व्यवस्थापन न होने का रंज, सिर्फ़ आश्वासन मिलने का रंज। खैर बारिश के दिन में ऐसी स्थिति तो निर्मित होती ही है जो थोड़े वक्त के लिए होती है। शुरुआती बारिश ने तापमान को भी गिरा दिया है। किसी ने बारिश के बहाने कई लोगों के बारे में ठीक ही कहा है बारिश गिरी और कानों में इतना कह गई गर्मी किसी की ज्यादा दिन नहीं रहती ...