मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह का तबादला यही बता रहा है कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक लदी कार खड़ी करने के मामले की आंच उन तक भी पहुंच चुकी थी। वास्तव में वह तभी सवालों से घिर गए थे, जब सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वझे को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया था। यह गिरफ्तारी विस्फोटक लदी कार के मालिक की हत्या के सिलसिले में की गई। अब तो यह संदेह भी गहरा गया है कि कार में विस्फोटक भरकर उसे मुकेश अंबानी के घर के बाहर खड़ी करने का काम कहीं सचिन वझे ने ही तो नहीं किया? सच जो भी हो, परमबीर सिंह के स्थानांतरण मात्र से बात बनने वाली नहीं है, क्योंकि यह प्रश्न अनुत्तरित है कि हिरासत में मौत के मामले में निलंबित और फिर नौकरी छोड़कर शिवसेना की सदस्यता ग्रहण कर चुके सचिन वझे को महामारी की आड़ में बहाल करने का काम क्यों और किसके इशारे पर किया गया? इससे भी गंभीर प्रश्न यह है कि मुंबई के सारे बड़े मामले उसके पास ही क्यों पहुंच रहे थे? आखिर यह मनमानी किसके इशारे पर हो रही थी? क्या पुलिस आयुक्त के या फिर उनके ऊपर भी कोई था? इन सारे सवालों के जवाब मुंबई पुलिस ही नहीं, महाराष्ट्र सरकार को भी देने होंगे, क्योंकि उसकी ही अतिरिक्त कृपा से सचिन वझे की पुलिस में बहाली हो सकी।