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नींद पूरी ना करने का ख़ामियाजा उन्हें कई सारी बड़ी बीमारियों
हेल्थ | पूरे दिन की थकान मिटाने के लिए आमतौर पर हमें कम से कम सात से आठ की घंटे अच्छी नींद ज़रूरी होती है. मेडिकली इसे कई सारी परेशानियों से बचने के लिए पर्याप्त माना जाता है, लेकिन आजकल लोग और ख़ासतौर से युवा, नींद पूरी करने के प्रति काफ़ी लापरवाह होते जा रहे हैं. नींद पूरी ना करने का ख़ामियाजा उन्हें कई सारी बड़ी बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ता है.
कई रिसर्च की मानें, तो नींद पूरी ना होने की वजह से युवाओं को वह बीमारियां घेरने लगती हैं, जो पहले बड़ी उम्र के लोगों में पाई जाती थीं. आज की पीढ़ी में युवाओं की लिस्ट में सात से आठ घंटे की अच्छी नींद लेना शामिल नहीं होता है. और कुछ ऐसे भी हैं, जो आलस के चलते दिनभर बेड या सोफ़े पर पड़े रहते हैं, जिसका नजीता होता है कि रात में उन्हें नींद नहीं आती है और ना ही उसे पूरी करने की सोचते हैं.
नींद पूरी ना होने की वजह से युवाओं में किस तरह की समस्या हो सकती है, इस बारे में हमने डॉक्टर आशीष तिवारी, फ़िज़ीशियन, एसीएस हेल्थ ऐंड केयर वेलनेस, से बात की. उन्होंने कहा कि “अनियमित और अनियंत्रित दिनचर्या के कारण अधिकांश युवा पूरी नींद नहीं लेते हैं. और इसमें भी नींद को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, जिनका बिना समय देखे धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है. फिर कारण चाहे पढ़ाई हो, चैटिंग हो या फिर इंटरनेट सर्फ़िंग. इन सबकी वजह से युवा देर रात तक जागते हैं, जिसकी वजह से दिमाग़ को सही समय पर नींद का सिग्नल नहीं मिल पाता है और स्लीप साइकिल प्रभावित होती है, जो धीरे-धीरे अनिद्रा यानी इन्सोम्निया बीमारी की वजह बन जाती है.”
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