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राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इरफान अंसारी की टिप्पणी पर लिया संज्ञान, तीन दिन में मांगी रिपोर्ट

jantaserishta.com
27 Oct 2024 3:13 AM GMT
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इरफान अंसारी की टिप्पणी पर लिया संज्ञान, तीन दिन में मांगी रिपोर्ट
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रांची: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने झारखंड की जामताड़ा विधानसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार सीता सोरेन के खिलाफ राज्य के मंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. इरफान अंसारी की कथित अमर्यादित टिप्पणी पर संज्ञान लिया है।
आयोग ने इस मामले में झारखंड के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और जामताड़ा के उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक से तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी है। आयोग के अनुसंधान अधिकारी पीके दास की ओर से राज्य सरकार के अफसरों को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि उसे इस संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है। आयोग ने इसकी जांच कराने का निर्णय लिया है।
आयोग के पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि तीन दिन के अंदर जवाब नहीं मिला तो अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से या प्रतिनिधि के माध्यम से आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए ‘समन’ जारी किया जा सकता है।
बता दें कि जामताड़ा से कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ इरफान अंसारी ने 24 अक्टूबर को नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद मीडिया से बात करते हुए इस सीट पर भाजपा की प्रत्याशी अनुसूचित जनजाति से आने वाली सीता सोरेन के बारे में कथित तौर पर अमर्यादित टिप्पणी की थी। उनसे पत्रकारों ने जामताड़ा सीट पर सीता सोरेन की ओर से मिलने वाली चुनौती के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘वह बॉरो खिलाड़ी हैं, भाजपा ऐसे लोगों को हाईजैक कर उम्मीदवार बना देती है, जो रिजेक्टेड हैं।‘
इस मामले में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने चुनाव आयोग के समक्ष शिकायतें दर्ज कराई हैं। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि अंसारी ने जामताड़ा से पार्टी की महिला प्रत्याशी सीता सोरेन के खिलाफ बेहद अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया है, वहीं कांग्रेस ने भाजपा पर इरफान अंसारी के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया है।
इस बीच निर्वाचन आयोग ने झारखंड में विधानसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता के अनुपालन को लेकर शनिवार को एक बार फिर एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों द्वारा किसी की भावना को आहत करने वाले बयान से बचना चाहिए। ऐसा बयान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई होगी।
चुनाव आयोग के दिशा निर्देश में कहा गया है कि नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं के निजी जीवन के किसी पहलू, जो सार्वजनिक गतिविधियों से संबंधित नहीं हों, की आलोचना नहीं की जाएगी। अपने विरोधी को अपमानित करने के लिए व्यक्तिगत आक्षेप के निम्नतम स्तर का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
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