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अफ्रीका में 50 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित: संयुक्त राष्ट्र

jantaserishta.com
4 Oct 2024 11:36 AM GMT
अफ्रीका में 50 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित: संयुक्त राष्ट्र
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संयुक्त राष्ट्र: इस साल अब तक अफ्रीका के 16 देशों में 50 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) ने गुरुवार को कहा कि अफ्रीका में बाढ़ भयावह स्तर पर पहुंच गई है। चाड, नाइजर और नाइजीरिया सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल हैं, जहां 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग प्रभावित हैं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ओसीएचए ने बताया कि एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं और लगभग सात लाख 40 हजार लोग विस्थापित हुए हैं। इसके अलावा, सैकड़ों हजारों घर, 100 से ज्यादा स्कूल और बड़ी संख्यों में स्वास्थ्य सुविधाएं क्षतिग्रस्त हो गई हैं। वहीं 5 लाख एकड़ कृषि भूमि प्रभावित हुई है। ओसीएचए के अनुसार, पर्याप्त सहायता के बिना, बाढ़ के कारण स्कूलों को फिर से खोलने में बाधा उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि इस महीने से स्कूलों में नया सत्र शुरू होने वाला है। बाढ़ के कारण मौजूदा खाद्य असुरक्षा भी बढ़ सकती है, खास तौर पर चाड और नाइजर में।
बाढ़ से प्रभावित लोगों की अस्थिर जीवन स्थितियों के कारण पानी जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे हैजा। हैजा नाइजर और नाइजीरिया के कई क्षेत्रों में फैल रहा है। ओसीएचए ने कहा कि मानवीय साझेदार सक्रिय हैं और खाद्य एवं स्वास्थ्य सहायता समेत प्रतिक्रिया का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन वित्तीय संसाधनों के कारण प्रयास सीमित हैं।
आगे कहा कि मानवीय मामलों के लिए कार्यवाहक अवर महासचिव और आपातकालीन राहत समन्वयक जॉयस मसूया ने चाड, नाइजर, नाइजीरिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और कांगो में बाढ़ राहत के लिए संयुक्त राष्ट्र सेंट्रल इमरजेंसी रिस्पॉन्स फंड से 35 मिलियन डॉलर आवंटित किए हैं। लेकिन और अधिक फंड की जरूरत है। इस बीच, नाइजीरिया के सोकोटो शहर और उत्तर पूर्व में बोर्नों तथा बाउची प्रांतों में बाढ़ से निपटने के लिए मसूया ने सेंट्रल इमरजेंसी रिस्पॉन्स फंड से 50 लाख डॉलर का आवंटन किया है।
ओसीएचए ने कहा कि नये कोष से मानवीय साझेदारों को तीनों राज्यों में 2 लाख 80 हजार लोगों तक भोजन, स्वच्छ जल, स्वच्छता और आश्रय सहायता पहुंचाने में मदद मिलेगी। इससे हैजा और अन्य जलजनित बीमारियों के प्रसार को रोकने समेत स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार के लिए संसाधनों को तेजी से जुटाने में भी मदद मिलेगी।
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