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भारतीय वायु सेना के मल्टीनेशनल अभ्यास 'तरंग शक्ति' पर अनुभव साझा करेंगे अमेरिका समेत कई देश

jantaserishta.com
12 Sep 2024 3:29 AM GMT
भारतीय वायु सेना के मल्टीनेशनल अभ्यास तरंग शक्ति पर अनुभव साझा करेंगे अमेरिका समेत कई देश
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नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना का मल्टीनेशनल अभ्यास 'तरंग शक्ति' अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है। अमेरिका समेत कई देशों के सैन्य अधिकारी और लड़ाकू विमान इस अभ्यास का हिस्सा हैं।
इंडियन एयरफोर्स के मल्टीनेशनल अभ्यास 'तरंग शक्ति' में अमेरिकन एयर फोर्स समेत सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, बांग्लादेश, श्रीलंका, जापान और यूएई के सैन्य अधिकारी व लड़ाकू विमान हिस्सा हैं। गुरुवार को अमेरिका समेत विभिन्न देशों के वरिष्ठ एयरफोर्स अधिकारी जोधपुर में 'तरंग शक्ति' व भविष्य की रणनीति पर अपनी राय साझा करेंगे।
इस बहुराष्ट्रीय एयर फोर्स एक्सरसाइज का एक मुख्य फोकस आत्मनिर्भरता के तहत भारत की स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन करना भी है। अभ्यास में भारत के स्वदेशी एलसीए तेजस, एलसीएच प्रचंड और अन्य हथियार प्रणालियों सहित मेक-इन-इंडिया उपकरण को प्रदर्शित किया जा रहा है। इसके अलावा यहां स्वदेशी रक्षा उपकरणों की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। इसमें डीआरडीओ और एचएएल समेत विभिन्न भारतीय रक्षा कंपनियों के उपकरण रखे जाएंगे।
वहीं, भारतीय वायु सेना का एक दल, जिसमें मिग-29, जगुआर और सी-17 शामिल हैं, ओमान में ईस्टर्न ब्रिज अभ्यास में भाग लेने के लिए तैयार हैं। यह इस अभ्यास का सातवां संस्करण है जो 11 से 22 सितंबर तक ओमान के मसीरा एयरबेस पर आयोजित हो रहा है। यह द्विपक्षीय अभ्यास रॉयल ओमान एयर फोर्स और भारतीय वायु सेना के बीच आपसी क्रियाशीलता बढ़ाने का प्रयास है। यह अभ्यास दोनों टीमों के रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए भी डिजाइन किया गया है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस अभ्यास का उद्देश्य सामरिक और परिचालन कौशल में सुधार करना, आपसी समझ को बढ़ावा देना और विभिन्न परिदृश्यों में प्रभावी ढंग से सहयोग करने की दोनों वायु सेनाओं की क्षमता को बढ़ाना है। इस अभ्यास में जटिल हवाई युद्ध अभ्यास, हवा से हवा और हवा से जमीन पर होने वाले ऑपरेशन और लॉजिस्टिक समन्वय शामिल होंगे।
यह दोनों देशों की बदलती रक्षा आवश्यकताओं और रणनीतिक हितों को दर्शाते हैं। यह रॉयल ओमान एयर फोर्स और भारतीय वायु सेना के बीच स्थायी साझेदारी को रेखांकित करता है। इससे दोनों देशों की क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता भी उजागर होती है।
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