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जानें, बंगाल के खानपान के बारे में और सीखें चितोल माछेर मुइठा बनाने का तरीक़ा

Sanaj
6 Jun 2023 8:47 AM GMT
जानें, बंगाल के खानपान के बारे में और सीखें चितोल माछेर मुइठा बनाने का तरीक़ा
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अनन्या बैनर्जीमुंबई की अनन्या बैनर्जी लेखिका, घुमक्कड़, फ़ूड डिज़ाइनर, कुक,
खानपान | पूर्वी बंगाली किचन में स्वागत कर रही हैं अनन्या बैनर्जीमुंबई की अनन्या बैनर्जी लेखिका, घुमक्कड़, फ़ूड डिज़ाइनर, कुक, होम शेफ़, चित्रकार और वक़ील जैसी तमाम भूमिकाओं में फ़िट बैठती हैं. अनन्या काफ़ी समय तक यूरोप में भी रही हैं. उसी दौरान जर्मन, फ्रेंच, इटैलियन, जापानी ज़ायकों के बारे में सीखा. अनन्या को बंगाली और ओड़िया पकवानों में महारत हासिल है. फ़ूडी और ज़ी बांग्ला रनाघोर जैसे लोकप्रिय कुकिंग शो में भाग ले चुकीं अनन्या यूट्यूब चैनल अनन्या-र रनाघोर की होस्ट हैं. हाल ही में इनकी कुक बुक बांग्ला गैस्ट्रोनॉमी-द जर्नी ऑफ़ बंगाली फ़ूड प्रकाशित हुई है.
पूर्वी बंगाली खानपानअनन्या बताती हैं बंगाली लोग जब मिलते हैं तब उनकी बातचीत खानपान, फ़ुटबॉल और राजनीति के इर्द-गिर्द केंद्रित रहती है. आमतौर पर ग़ैर बंगाली लोगों को लगता है कि बंगाली खानपान में केवल मछली ही होती है, पर ऐसा नहीं है. बंगाली खानपान में बेहतरीन वेजेटेरियन डिशेज़ होती हैं और लाजवाब मिठाइयां भी. बंगालियों के बारे में यह कहावत मशहूर है कि बंगाली खाने के लिए जीते हैं. वे खाने पर काफ़ी पैसा ख़र्च करते हैं. मौजूदा बंगाली व्यंजनों पर मुग़ल, ब्रिटिश, ऐंग्लो-इंडियन, पुर्तगाली, पारसी और चाइनीज़ पाककला का प्रभाव दिखता है. रसगुल्ला, संदेश और मिष्टी दोई ने बंगाल को दुनिया के खानपान के नक़्शे पर विशेष जगह दिलाई है. चिंगरी मलाई करी, कोशा मान्गशो, कोबिराजी कटलेट, पोस्तो, इलीश भापे जैसे व्यंजन भी मशहूर हैं.
वर्ष 1905 में हुए बंगाल विभाजन के बाद पश्चिमी बंगाल के लोगों को घोटी और पूर्वी बंगाल में रहनेवालों को बंगाल कहा जाने लगा. जहां घोटी किचन में औपनिवेशिक प्रभाव दिखता है, वहीं बंगाल रसोई में खाने को खट्टा बनाया जाता है. घोटी और बंगाल एक ही भाषा बोलनेवाले लोग हैं, पर मैरिनेशन से लेकर मसालों के इस्तेमाल तक में काफ़ी विविधता देखी जाती है. बंगाल खानपान में मोरिच बाटा (मिर्च पेस्ट) और पंच फोरन (पांच मसालों का मिश्रण) को अधिक महत्व दिया जाता है. बंगाल व्यंजनों में मुस्लिम प्रभाव अधिक होता है. उनमें लहसुन और प्याज़ का इस्तेमाल घोटी व्यंजनों की तुलना में अधिक होता है. उनमें मसालों का भी दिल खोलकर इस्तेमाल होता है. घोटी और बंगाल यानी बांग्ला बोलनेवाले दोनों समुदायों को अपनी कुकिंग पर गर्व है. जहां घोटी लोग कम तीखे और हल्की-सी मिठास से भरे व्यंजन पसंद करते है, बंगाल समुदाय चटपटे और मसालेदार व्यंजनों का दीवाना है.
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