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घोटालों के कारण 'कोमा' में चली गई है कर्नाटक सरकार : भाजपा
jantaserishta.com
4 Sep 2024 3:15 AM GMT
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बेंगलुरु: कर्नाटक भाजपा ने मंगलवार को राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह एमयूडीए और आदिवासी कल्याण मामले जैसे मामलों के कारण "कोमा" में चली गई है।
बेंगलुरु में भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विपक्ष के नेता (एलओपी) आर. अशोक ने कहा, "कर्नाटक सरकार विभिन्न मामलों के कारण कोमा में चली गई है, जबकि विकास कार्य ठप हो गए हैं। अगर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस्तीफा दे दिया होता, तो विकास कार्यों में इतनी बाधा नहीं आती।"
उन्होंने कहा कि सरकार ने 50:50 अनुपात में भूखंडों के वितरण में नियमों का उल्लंघन मानते हुए पूर्व एमयूडीए आयुक्त जीटी दिनेश कुमार को निलंबित कर दिया है, जो अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार करता है कि सीएम सिद्धारमैया की पत्नी को उसी अनुपात में भूखंड देना भी गलत है।
"पिछली भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त तकनीकी समिति द्वारा मुडा अनियमितताओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत किए 10 महीने हो चुके हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। चल रही जांच के बावजूद दागी अधिकारी दिनेश कुमार को कांग्रेस सरकार ने हावेरी विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रार नियुक्त कर दिया।"
उन्होंने कहा कि उनके अपने पार्टी सदस्यों के अनुसार जब से मुडा घोटाला सामने आया है, सीएम सिद्धारमैया भ्रमित और मानसिक रूप से कमजोर हो गए हैं। राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़ गए हैं।
करकला में एक लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले में करकला शहर पुलिस द्वारा की गई जांच में ड्रग नेटवर्क के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। इसके पीछे एक बड़ा ड्रग गिरोह है। भाजपा सरकार के दौरान, ड्रग्स पर नियंत्रण के लिए एक विशेष अभियान चलाया गया था। इस सरकार ने ड्रग तस्करों को खुली छूट दे रखी है, इसके परिणामस्वरूप एक युवती के साथ बलात्कार हुआ।
उन्होंने मांग किया कि सरकार को विधान परिषद में भाजपा नेता चलवाडी नारायणस्वामी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार के खिलाफ लगाए गए आरोपों का जवाब देना चाहिए था। वे आरोपों का विरोध कर रहे हैं। यहां तक कि कोविड मामले में भी एक जांच आयोग का गठन किया गया था और नफरत की राजनीति करने के लिए बीच में ही रिपोर्ट प्राप्त कर ली गई।
भाजपा नेता ने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तरी कर्नाटक में बाढ़ के लिए अलग से राहत देने के लिए कदम नहीं उठाए। बारिश के कारण हर जगह सड़कें खराब हो गई हैं। सरकार को सड़कों को दुरुस्त कराना चाहिए। वहीं बेंगलुरु में ठेकेदार इसलिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनके लिए कमीशन के रूप में तय 1,500 करोड़ रुपये रोक दिए गए हैं। सड़कों पर गड्ढे, वाहन चालकों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। हर जगह कूड़ा जमा है। यह अब कैशलेस ब्रांड बेंगलुरु बन गया है
उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक लोक सेवा आयोग (केपीएससी) में कन्नड़ में अनुवाद करने की योग्यता भी नहीं है।सिद्धारमैया कन्नड़ संरक्षण समिति के अध्यक्ष हैं, फिर भी उनके प्रशासन में सही कन्नड़ प्रश्नपत्र भी उपलब्ध नहीं कराया जा सका।"
भाजपा नेता ने कहा, मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने आंगनवाड़ी स्कूलों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कुद नहीं किया, लेकिन रील बनाने के लिए 60-70 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं। उसी पैसे का इस्तेमाल स्कूलों की मरम्मत के लिए किया जा सकता था।
तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को एक कानून लाना चाहिए, इसमें कहा जाए कि यदि कोई विशेष जाति हत्या या भ्रष्टाचार करती है, तो किसी को भी उनके खिलाफ नहीं बोलना चाहिए।अपराध करने के मामले में पिछड़ा वर्ग, ब्राह्मण या दलित जैसी कोई श्रेणी नहीं है। बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान में ऐसे भेद नहीं रखे। जाति और कानून के बीच कोई संबंध नहीं है। अगर लोग जाति के नाम पर सुरक्षा लेने की कोशिश करेंगे, तो जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी।"
राज्य सरकार की ओर से "नांबिके" (ट्रस्ट) योजना शुरू की गई है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का बयान कि बेंगलुरु में बिल्डिंग प्लान की मंजूरी के लिए "नंबिके नक्शा" (ट्रस्ट मैप) योजना शुरू की जा रही है, जो ब्रांड बेंगलुरु नाटक का एक और अध्याय है।
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