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कोयले की रॉयल्टी के 1.36 लाख करोड़ की दावेदारी पर झामुमो ने दिखाए सख्त तेवर
jantaserishta.com
18 Dec 2024 3:25 AM GMT
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रांची: कोयले की रॉयल्टी के तौर पर केंद्र के पास 1.36 लाख करोड़ की झारखंड की दावेदारी पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। केंद्र सरकार ने संसद में एक सवाल पर दिए जवाब में बताया है कि कोयले के मद में झारखंड को कोई कर बकाया नहीं है। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने केंद्र के इस स्टैंड पर जोरदार विरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि अगर झारखंड के हक का पैसा नहीं मिला तो अब आर-पार की लड़ाई होगी।
पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि झारखंड के राजमहल से लेकर राजधनवार तक एक ढेला कोयला भी राज्य से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा। जमीन हमारी और कोयला हमारा है। हम लोग अब हक का पैसा छोड़ने वाले नहीं हैं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य सरकार के भू राजस्व विभाग की ओर से मंगलवार को जारी एक पत्र दिखाते हुए कहा कि कोल इंडिया को 15 दिन के अंदर बकाया राशि पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है।
झामुमो महासचिव ने तल्ख अंदाज में भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने चुनाव में इन्हें औकात बताई है और अब हक की इस लड़ाई में भी हम झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने झारखंड से भाजपा के सांसदों पर राज्य के हक के मुद्दे पर मौन साधने का आरोप मढ़ते हुए कहा कि ये सारे लोग गूंगे और बहरे हो गए हैं। पूरा का पूरा विस्थापन का दंश और पर्यावरण का नुकसान झारखंड झेले। हमारे जंगल काटे गए। कई बीमारियां हुईं। राज्य सरकार ने बता दिया है कि किस मद में कितना पैसा बकाया है। इसके बाद भी भाजपा के सांसदों की जुबान नहीं खुलती।
भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में बकाया सारा ब्योरा दिया है। इन्हें नाटक नहीं करना चाहिए। झारखंड के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का भी निर्णय आया। उन्होंने बकाया राशि पर दावेदारी को क्रमवार गिनाते हुए कहा कि कोविड समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तत्कालीन कोयला मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर रॉयल्टी का बकाया मांगा। तत्कालीन कोयला मंत्री रांची आए। उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सार्वजनिक तौर पर कहा कि जल्द से जल्द बकाया देंगे। एक खुला पत्र प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री ने लिखा, जिसमें विस्तार से बकाया की जानकारी दी गई। इसके बाद भाजपा के नेता गलतफहमी पैदा कर रहे हैं। उन्हें समझ लेना चाहिए कि यह झारखंड के लोगों का पैसा है।
झामुमो महासचिव ने कोल इंडिया और झारखंड में ऑक्शन के जरिए कोयला खदान लेने वाली प्राइवेट कंपनियों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे पहले राज्य का पैसा चुकाएं, इसके बाद ही पहला फावड़ा चलाएं।
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