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भारतीय कंपनियों ने शिक्षा पर सीएसआर खर्च बढ़ाया, कौशल विकास को मिलेगा बढ़ावा
jantaserishta.com
9 Aug 2024 7:28 AM GMT
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नई दिल्ली: वित्त वर्ष 23 में भारतीय कंपनियों ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) खर्च का 33 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया है, जो कि अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
वहीं, सरकार द्वारा एक स्कीम लाई जा रही है। इसके तहत कंपनियों को अपने सीएसआर फंड का 10 प्रतिशत हिस्सा इंटर्नशिप पर खर्च करना होगा। इससे देश में कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा।
सरकारी डेटा के अनुसार, वित्त वर्ष 23 में सीएसआर के तहत कंपनियों की ओर से व्यावसायिक कौशल पर 1,164 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई जो कि इससे पिछले वित्त वर्ष 1,033 करोड़ रुपये थी।
केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक नई स्कीम की घोषणा की थी। इसके तहत कंपनियों को अपने सीएसआर का 10 प्रतिशत हिस्सा इंटर्नशिप पर खर्च करना होगा।
सरकार की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया कि अगर किसी कंपनी की नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये, टर्नओवर 1,000 करोड़ रुपये या फिर मुनाफा 5 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा है तो उसे कंपनी एक्ट, 2013 की धारा 135(1) और कंपनी नियम (सीएसआर पॉलिसी), 2014 के तहत इन नियमों का पालन करना होगा।
इस स्कीम के जरिए नई सरकार का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में देश की शीर्ष 500 कंपनियों में युवाओं के लिए कौशल विकास के अवसर तैयार करना है। इस नई इंटर्नशिप स्कीम के तहत हर इंटर्न को 5,000 रुपये का मासिक भत्ता और 6,000 रुपये का वन-टाइम असिसटेंस दिया जाएगा।
बजट दस्तावेज के अनुसार, इससे युवाओं को 12 महीने का रियल-टाइम बिजनेस अनुभव मिलेगा। वहीं, कंपनियों को इनकी ट्रेनिंग लागत का खर्च उठाना होगा और सीएसआर फंड का 10 प्रतिशत हिस्सा इंटर्नशिप पर खर्च करना होगा।
कौशल विकास और उद्यमिता के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी ने कहा कि यह स्कीम शैक्षिक ज्ञान और इंडस्ट्री की आवश्यकताओं को बीच की दूरी को पाटने का काम करेगी। इससे युवाओं को मजबूती मिलेगी। इसमें आर्थिक सहायता के साथ इंडस्ट्री का अनुभव भी मिलेगा।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा कि सरकार की इस स्कीम के जरिए शैक्षणिक ज्ञान और इंडस्ट्री की आवश्यकता के बीच का गैप भरेगा। इसके साथ ही अधिक कुशल और नौकरी योग्य वर्कफोर्स भारत में तैयार हो पाएगी।
जानकारों का कहना है कि इस प्रकार की वर्कफोर्स रियल एस्टेट जैसे सेक्टर के लिए काफी महत्वपूर्ण होगी। जहां कौशल और अनुभव की अधिक आवश्यकता होती है।
सरकार की ओर से एक महीने के पीएफ योगदान की पेशकश करके नौकरी बाजार में प्रवेश करने वाले 30 लाख युवाओं को प्रोत्साहित करने की भी योजना बनाई जा रही है।
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