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हिमाचल प्रदेश सरकार राजनीतिक नियुक्तियों पर कर रही है खर्च, कर्मचारियों की सैलरी के लिए इनके पास पैसा नहीं : अनुराग ठाकुर

jantaserishta.com
5 Sep 2024 3:29 AM GMT
हिमाचल प्रदेश सरकार राजनीतिक नियुक्तियों पर कर रही है खर्च, कर्मचारियों की सैलरी के लिए इनके पास पैसा नहीं : अनुराग ठाकुर
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हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह में देरी पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद अनुराग ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि राज्य ने पहले कभी ऐसा दिन नहीं देखा है जब सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को उनकी तनख्वाह और पेंशन नहीं मिली हो।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि लगभग साढ़े तीन लाख सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स प्रभावित हैं, जो अपने दैनिक जीवन की जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी अपने बच्चों की फीस कैसे देंगे, राशन कैसे खरीदेंगे, दूध और फल-सब्जियां कैसे खरीदेंगे? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक नियुक्तियों पर धन खर्च कर रही है, राजनीतिक नियुक्तियों के लिए बड़ी गाड़ियां, बंगले और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं लेकिन सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए पैसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास विकास के लिए पैसा नहीं, गरीब कल्याण के लिए पैसा नहीं है, यह कैसी सरकार है। अनुराग ठाकुर ने महिला सुरक्षा और महिला अपराधों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून पहले से ही मौजूद हैं, उन्हें सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समय रहते महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि समाज में एक जन जागरण अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि हर परिवार के बच्चों को मोरल वैल्यूज सिखाए जा सकें।
उन्होंने आगे कहा, "हम ऐसे दौर में हैं जहां छोटी से छोटी बच्चियों के साथ भी दुष्कर्म किए जा रहे हैं और उन्हें न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है।" उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, "उन्होंने डॉक्टरों को सुरक्षा देने का वादा किया था, लेकिन महिला डॉक्टर के साथ अपराध हुआ है। निर्भया के बाद एक बार फिर लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया गया है।"
उन्होंने बंगाल में महिलाओं के ऊपर अत्याचार की घटनाओं का भी जिक्र किया और कहा, "तब भी मीडिया ने इसकी रिपोर्टिंग नहीं की थी। यह संदेश पूरे देश में गया है कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। महिला मुख्यमंत्री के रहते हुए भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा?"
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