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महिलाओं के खिलाफ जारी घटनाओं को रोकने में डीएमके सरकार विफल : सौम्या अंबुमणि
jantaserishta.com
3 Jan 2025 3:03 AM GMT
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चेन्नई: पासुमाई थायगम संगठन की नेता सौम्या अंबुमणि ने गुरुवार को वल्लुवर कोट्टम में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इसमें डीएमके सरकार की आलोचना की गई। प्रदर्शन का नाम 'क्या मैं अगली हूं?' रखा गया था। यह प्रदर्शन पासुमाई थायगम संगठन और पट्टाली मक्कल कच्छी पार्टी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
सौम्या अंबुमणि को विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिरासत में ले लिया गया, लेकिन शाम को उन्हें रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह प्रदर्शन महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं को रोकने में डीएमके सरकार की विफलता के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है, जबकि महिलाओं और लड़कियों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं।
सौम्या अंबुमणि ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस बल की भारी तैनाती की गई थी, लेकिन यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर अपराधों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। उन्होंने बताया कि विभिन्न जिलों जैसे दिंडीगुल, कृष्णागिरी और चेन्नई में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं।
विरोध-प्रदर्शन में पट्टाली मक्कल कच्छी पार्टी के समर्थकों के साथ कॉलेज की छात्राओं और राज्य भर से महिलाओं ने भाग लिया। सौम्या ने कहा कि तमिलनाडु में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उठ रही हैं और राज्य अब महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित बन चुका है।
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या दोगुनी हो गई है और तमिलनाडु महिलाओं के लिए देश के चौथे सबसे असुरक्षित राज्य के रूप में उभरकर सामने आया है। सौम्या ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि महिलाओं को सुरक्षा देने में सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर रोक लग सके।
इसके साथ ही सौम्या अंबुमणि ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर संकट में है और यह राज्य की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है। उन्होंने कहा कि हमारी आवाज को दबाया नहीं जा सकता, हम तब तक शांत नहीं बैठेंगे, जब तक कि सरकार महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती।
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