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दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने 1984 के दंगा पीड़ित परिवार के 57 लोगों को दिया नियुक्ति पत्र

jantaserishta.com
7 Jan 2025 3:17 AM GMT
दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने 1984 के दंगा पीड़ित परिवार के 57 लोगों को दिया नियुक्ति पत्र
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नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 1984 के दंगा पीड़ित परिवार के 57 लोगों को सोमवार नियुक्ति पत्र सौंपा। इस दौरान उन्होंने कहा कि 40 साल पहले जो जख्म लोगों को मिले हैं, उसको भरा नहीं जा सकता, लेकिन उस पर मरहम जरूर लगाया जा सकता है।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा, "40 साल पहले जो आपको घाव लगे उस पर मरहम तो कोई नहीं लग सकता। लेकिन, पीड़ित परिवार को मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास किया जा सकता है। संतोष इस बात का है कि हम न्याय की कुछ सीढ़ियां चढ़ने में सफल हुए। जिन्हें नौकरी मिली है, उन्हें बधाई देता हूं। यह प्रयास सिर्फ उनके परिवार में घाव पर मरहम लगाने जैसा है।"
उपराज्यपाल ने रेवेन्यू विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि "जल्द से जल्द कैंप लगाकर इस काम को पूरा किया जाएगा। देश के इतिहास में पहली बार हुआ जब, 55 साल के व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी गई। 57 को अभी और बाकी को जल्द ही नौकरी दी जाएगी, अभी 300 लोगों के नाम पर वेरिफिकेशन चल रहा, ऐसे में और लोगों को नौकरी दी जाएगी।"
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने तिलक विहार की सुविधा कॉलोनी का नाम बदलकर गुजरी देवी करने की भी घोषणा की।
मौके पर मौजूद पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद कमलजीत सेहरावत ने कहा, "प्रकाश पर्व के मौके पर एलजी साहब का आना हुआ। अब तक दो किस्तों को मिलाकर कुल 103 लोगों को नौकरी दी गई है। 1984 के उस दिन को कोई भूल नहीं सकता है, जिसके जख्म बहुत गहरे हैं। जो परिवार आर्थिक रूप से बहुत समस्या में थे आज ये नौकरी उनके बहुत काम आएगी और जीवनयापन करने में बहुत मदद करेगी। एलजी साहब को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने इसका संज्ञान लेकर नौकरी देने का काम किया। बाकी के लोगों का भी सर्वे कराकर जल्द नौकरी दी जाएगी।"
1984 सिख दंगों की एक पीड़िता ने भावुकता के साथ कहा कि ये बहुत पहले मिल जानी चाहिए थी, लेकिन कोई बात नहीं, देर से ही सही पर आज नौकरी मिली। उपराज्यपाल को कहना चाहेंगे कि उन्होंने हमारी बातों को सुना। भविष्य में हमारे बच्चे ठीक रहेंगे।
अन्य लोगों ने भी 40 साल बाद नौकरी मिलने पर खुशी जाहिर की। सरकार को इसके लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इसकी बहुत जरूरत थी, देर से ही सही पर नौकरी मिली। कई बार ऐसा समय था कि कुछ खाने को भी घर में नहीं रहता था। इससे हमें बहुत सहायता मिलेगी।
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