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सायबर सुरक्षा छोटी-सी चूक बन सकती है मुसीबत

Sanaj
4 Jun 2023 12:18 PM GMT
सायबर सुरक्षा छोटी-सी चूक बन सकती है  मुसीबत
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एक छोटी-सी ग़लती इस हाइटेक दुनिया में आपके लिए बड़ी मुसीबत बन सकती

सुरक्षा | पहचान पत्र से जुड़े दस्तावेज हों या फिर किसी लिंक पर क्लिक करना. एक छोटी-सी ग़लती इस हाइटेक दुनिया में आपके लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है, ऐसे में आपकी सुरक्षा आपकी सतर्कता में ही है... सीमा अलावा, एडिशनल एसपी, खंडवा वरिष्ठ पत्रकार सर्जना चतुर्वेदी को सायबर क्राइम के पांच केसेस की मदद से बता रही हैं कि क्यों सायबर सुरक्षा हमारी अपनी ज़िम्मेदारी है.पांच केसेस, जो बताते हैं कैसे आप भी बन सकते हैं सायबर क्रिमिनल्स के आसान शिकारसायबर क्राइम से सुरक्षा पर बातचीत शुरू करने के पहले हम उन पांच मामलों पर बात करना चाहेंगे, जिनमें थोड़ी-सी असावधानी बड़ी मुसीबत का कारण बनी.केस नंबर एक: सायबर सेल में एक आवेदक उपस्थित हुआ, उसके द्वारा बताया गया कि विगत 3 दिवस में उसके खाते से लगातार छोटे-छोटे ट्रांजेक्शन के रूप में लगभग 10 हजार रुपए निकल गए हैं. रिपोर्ट पर आवेदक के मोबाइल का अवलोकन कर उसमें दर्ज ईमेल आईडी पर फ्री फायर गेम के वाउचर ख़रीदने संबंधी ईमेल पाए गए. जिस पर फरियादी के फोन पे ट्रांजेक्शन संबंधी जानकारी प्राप्त की गई. उपरोक्त समस्त जानकारी का अवलोकन करके फ़रियादी के स्वयं के पुत्र द्वारा ही फ्री फायर गेम के वर्चुअल वेपन्स, एम्युनेशन और अन्य फीचर्स ख़रीदने के लिए उपरोक्त ट्रांजेक्शन किए जाना ज्ञात हुआ.केस नंबर दो: सायबर सेल में एक लड़की उपस्थित होती है. उसके द्वारा बताया जाता है कि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उसकी इंस्टाग्राम आईडी से उसके फोटोग्राफ़ लेकर उसकी फ़र्जी इंस्टाग्राम आईडी बना दी गई है एवं उसके द्वारा उसकी अन्य दोस्तों को परेशान किया जा रहा है. रिपोर्ट पर फेसबुक से उक्त फर्जी आईडी के लॉग इन की जानकारी प्राप्त करके आवेदिका की सहेली द्वारा ही आईडी बनाकर परेशान किए जाने का पता चला.केस नंबर तीन: सायबर सेल में एक आवेदक उपस्थित हुआ तथा बताया गया कि वह ऑनलाइन जॉब सर्च कर रहा था. इसी दौरान उसे शाइन डॉट कॉम के नाम से मैसेज प्राप्त हुआ तथा एक वेबसाइट का एड्रेस देकर उस पर लॉग इन प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए कहा गया. उस वेबसाइट पर लॉग इन प्रक्रिया पूर्ण करते समय संबंधित द्वारा केवल 10 रुपए का ट्रांजेक्शन किए जाने का कहा गया,केस नंबर चार: सायबर सेल में एक प्रतिष्ठित व्यापारी द्वारा उपस्थित होकर बताया गया कि उनके द्वारा वर्तमान में चल रही Ola E-bike की फ्रेंचाइज़ी लेने के लिए Online Google पर सर्चिंग की गई. इस दौरान एक वेबसाइट पर जाकर Ola E-bike की फ्रेंचाइज़ी हेतु रजिस्ट्रेशन करवाया गया. जहां से उनके द्वारा फ्रेंचाइज़ी के रजिस्ट्रेशन हेतु समस्त दस्तावेज ई-मेल के माध्यम से उन्हें प्रेषित किए जाकर लगभग 15 लाख रुपए दो खातों में जमा करवा लिए गए. जिस पर आवेदक द्वारा दिए गए मोबाइल नम्बरों एवं खातों की जानकारी प्राप्त करते समस्त दस्तावेज एवं खाते फ़र्जी नम्बरों से खोला जाना एवं समस्त पैसा निकाल लिया जाना ज्ञात हुआ.

केस नंबर पांच: आधार कार्ड का इस्तेमाल कर फ़र्ज़ी बैंक अकाउंट खोल लिए गए आर लोन भी लिया गया जिसका अकाउंट था उन्हें इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी. जानकारी तब लगी जब ATM घर पर पहुंचा.क्यों और किसके साथ होते हैं इस तरह के सायबर अपराध?अज्ञानता और लालच ही दुःख के दो प्रमुख कारण है. जब हम विशेष रूप से सायबर अपराध की बात करते है तो किसी भी अपराध के पीछे सिर्फ अज्ञानता व लालच ही दृष्टिगोचर होगा. अक्सर सायबर अपराधों में अज्ञानता, ओटीपी (OTP) देने, पासवर्ड शेयर करने, अतिविश्वास व लालच ही इस तरह के अपराधों का मुख्य कारण होते है.महिलाएं एवं बच्चे इस तरह के अपराधों का ज़्यादा शिकार होते हैं. किसी भी चीज़ की आधी-अधूरी जानकारी होना उसे और अधिक घातक बना देता है.
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