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कालानमक धान का बढ़ा क्रेज, 20 फीसदी बढ़ी बीज की बिक्री

jantaserishta.com
10 July 2024 8:36 AM GMT
कालानमक धान का बढ़ा क्रेज, 20 फीसदी बढ़ी बीज की बिक्री
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लखनऊ: कालानमक धान को सिद्धार्थनगर का ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) घोषित किया गया है। तब से ही इसका क्रेज बढ़ता जा रहा है। पिछले साल की तुलना में बीज की बिक्री में करीब 20 फीसदी की वृद्धि इसका सबूत है।
स्वाद, सुगंध और पौष्टिकता में बेमिसाल होने के नाते अन्य राज्यों में भी इसका विस्तार हो रहा है। इस साल छत्तीसगढ़, बिहार, एमपी, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और हरियाणा से भी बीज की अच्छी मांग आई है।
कालानमक धान पर दो दशक से काम कर रहे पद्मश्री से सम्मानित कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरसी चौधरी के अनुसार, उनके पास जितने बीज की मांग जीआई टैग वाले पूर्वांचल के 11 जिलों से आई है, लगभग उतनी ही मांग छत्तीसगढ़ से भी आने का अनुमान है। बीज की बढ़ी मांग की तस्दीक गोरखपुर के बड़े बीज बिक्रेता उत्तम बीज भंडार के श्रद्धानंद तिवारी भी करते हैं।
तिवारी के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले कालानमक धान के बीज की मांग ज्यादा है। इसी वजह से आपूर्तिकर्ता कंपनियों की संख्या भी कफी बढ़ी है। लोगों का कहना है कि आज कालानमक धान का जो भी क्रेज है, उसकी एकमात्र वजह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निजी प्रयास है।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो जीआई टैग वाले जिलों के अलावा बलिया, आजमगढ़, जौनपुर, सुल्तानपुर, प्रयागराज, उन्नाव, प्रतापगढ़ आदि वे जिले हैं जहां से कालानमक धान के बीज की अच्छी मांग निकली है।
वैज्ञानिक डॉ. आरसी चौधरी के मुताबिक, पिछले साल कालानमक धान का रकबा सिर्फ जीआई टैग वाले जिलों में करीब 80 हजार हेक्टेयर था। 2024 में बीज बिक्री के अब तक के आंकड़ों के अनुसार, यह एक लाख हेक्टेयर तक पहुंच जाएगा। अन्य जिलों और प्रदेशों को शामिल कर लें तो यह रकबा उम्मीद से बहुत अधिक होगा।
मात्र सात साल में इसके रकबे में करीब चार गुना वृद्धि हुई। 2016 में इसका रकबा सिर्फ 2200 हेक्टेयर था, जो 2022 में बढ़कर 70 हजार हेक्टेयर से ज्यादा हो गया। 2024 में इसके एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा होने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने सिद्धार्थनगर में कालानमक धान के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) का लोकार्पण भी किया था। इसमें कालानमक के ग्रेडिंग, पैकिंग से लेकर हर चीज की अत्याधुनिक सुविधा एक ही छत के नीचे मिल जाती है। सरकार के इन सारे प्रयासों का नतीजा सबके सामने है। यही नहीं, दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालानमक को लोकप्रिय बनाने के लिए वहां के तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक मीणा को सम्मानित भी किया था।
उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों के बीच काम करने वाली संस्था सस्टेनेबल ह्यूमन डेवलेपमेंट को इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पिछले साल कालानमक की 15 प्रजातियों को एक जगह छोटे-छोटे रकबे में डिमांस्ट्रेशन के लिए उपलब्ध कराया है। एनबीआरआई भी कालानमक पर एक शोध प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।
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