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सीएम सिद्दारमैया ने मैसूरु से शिराडी घाट तक की सड़क यात्रा, अधिकारियों को दिये अहम निर्देश

jantaserishta.com
4 Aug 2024 3:39 AM GMT
सीएम सिद्दारमैया ने मैसूरु से शिराडी घाट तक की सड़क यात्रा, अधिकारियों को दिये अहम निर्देश
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मैसूरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने शनिवार को मैसूरु से शिराडी घाट भूस्खलन स्थल तक सड़क मार्ग से यात्रा की। यात्रा के दौरान उन्होंने विभिन्न सड़क कार्यों के बारे में अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की।
जैसे ही मुख्यमंत्री का वाहन बिलिकेरे क्रॉस के पास पहुंचा, उन्हें बिलिकेरे क्रॉस और यादगोंडानहल्ली के बीच प्रस्तावित 41 किमी लंबी चार-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के बारे में जानकारी दी गई। अधिकारियों ने उन्हें बताया कि 600 करोड़ रुपये के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए टेंडर निकाले जा चुके हैं।
सड़क सुरक्षा को लेकर चिंतित मुख्यमंत्री ने मार्ग के गड्ढों को पाटने के निर्देश दिये। दुर्घटनाओं को रोकने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने अधिकारियों को बारिश रुकने पर गड्ढों को ढकने का निर्देश दिया।
होल नरसीपुर तालुक में डोड्डाकादनूर से गुजरते समय उन्होंने अधिकारियों को फोन पर खतरा बन चुके बिजली के खंभों को बदलने और खतरनाक तारों की मरम्मत करने का निर्देश दिया।
सीएम ने हल्ली मैसूर से गुजरते समय क्षतिग्रस्त सड़क डिवाइडरों की आवश्यक मरम्मत के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।
पूरे रास्ते उनके प्रशंसक सिद्धारमैया को जन्मदिन की बधाई देने के लिए माला और शॉल पहनाने के लिए इंतजार करते रहे। हालांकि उन्होंने कहा कि वह अपना जन्मदिन नहीं मनाते। उन्होंने हाथ हिलाकर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं का अभिवादन स्वीकार किया और आगे बढ़ गए।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "शिराडी घाट पहाड़ी ढहने के स्थल पर जाकर आज निरीक्षण के दौरान अवैज्ञानिक कार्य पाए जाने पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के क्षेत्रीय अधिकारी को कुछ सख्त निर्देश जारी किए गए। सड़क निर्माण के लिए पहाड़ियों को 90 डिग्री पर काटना पहाड़ी ढहने का मुख्य कारण है। कुल 45 किमी में से 35 किमी राजमार्ग का काम पूरा हो चुका है। लेकिन अब तक कहीं भी कोई अवरोध नहीं बनाया गया है, मिट्टी की गुणवत्ता का परीक्षण नहीं किया गया है और उसके आधार पर सुरक्षा सावधानियां नहीं बरती गई हैं।"
उन्होंने आगे लिखा, "पैसा बचाने के इरादे से कम जमीन अधिग्रहीत की गई है और फिर लागत बचाने के लिए पहाड़ियों को 90 डिग्री पर काटा गया है। क्या यह अवैज्ञानिक कार्य नहीं है? यदि पहाड़ियों को 30 से 45 डिग्री पर काटा जाता और रिटेनिंग वॉल बनाई जाती तो भूस्खलन को रोका जा सकता था। हम यहां की समग्र स्थिति के बारे में सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री गडकरी को पत्र लिखेंगे। हम राजमार्गों पर चलने वाले मोटर चालकों के हित में किसी भी कारण से इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
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