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मुंबई: कहते हैं कि इंसान दुनिया से भले ही चला जाए मगर उसके गुण अमर हो जाते हैं। अब जिक्र गुणवान व्यक्ति की हो तो भला फिल्म जगत के 'ऑल इन वन' अभिनेता कादर खान को कैसे भूला जा सकता है।
खलनायक बनकर जुल्म करना हो या रोते को हंसाना हो... गंभीर व्यक्तित्व से दर्शकों को बांधना हो या डायलॉग से मंत्रमुग्ध करना, 22 अक्टूबर 1937 को जन्मे कादर खान चुटकियों में सब कर देते थे। वास्तव में कादर खान जिस भी किरदार में पर्दे पर उतरते थे, वह उसी में रम जाते थे। उन्होंने 300 से ज्यादा फिल्मों में अपनी एक्टिंग का जादू चलाया। साथ ही वर्साटाइल अभिनेता ने 250 से ज्यादा फिल्मों के लिए डायलॉग भी लिखे।
साल 2013 में कादर खान को हिंदी फिल्म जगत में उनके शानदार योगदान के लिए साहित्य शिरोमणि पुरस्कार से नवाजा गया। इसके साथ ही भारत में मुस्लिम समुदाय के लिए उनकी उपलब्धियों और सेवा के लिए अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम फ्रॉम इंडिया द्वारा दो बार सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने साल 2019 में उन्हें मरणोपरांत पद्म श्री से सम्मानित किया।
कादर खान हर तरह की भूमिका में पसंद किए जाते थे। वह फिल्म जगत के 'ऑल इन वन' थे। उन्होंने एक्शन के साथ ही कॉमेडी, रोमांस, फैमिली ड्रामा और अन्य विषयों पर बनी फिल्मों में शानदार काम किया। एक समय ऐसा आया कि दर्शकों को जब पता चल जाता कि आने वाली फिल्म में कादर खान हैं तो मतलब था कि फिल्म की कहानी में मजा आना ही है।
एक अभिनेता के रूप में कादर खान ने करियर की शुरुआत फिल्म 'दाग' से की थी। दाग 1973 में रिलीज हुई थी। इसके बाद वह राजा बाबू, दूल्हे राजा, हीरो नंबर 1, जुदाई, बाप नंबरी बेटा 10 नंबरी, धरमवीर, नसीब, मिस्टर नटवरलाल, लावारिस समेत 300 से ज्यादा फिल्मों में यादगार काम किया। इसके साथ ही उन्होंने छैला बाबू, महाचोर, धर्म कांटा, फिफ्टी-फिफ्टी, मास्टरजी, नया कदम, हिदायत जैसी फिल्मों के लिए संवाद लिखे।
यह सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट थीं। अन्य सफल फिल्मों की लिस्ट में हिम्मतवाला, जानी दोस्त, सरफरोश, जस्टिस चौधरी, फर्ज और कानून, जिओ और जीने दो, तोहफा, कैदी और हैसियत शामिल हैं।
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