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जम्मू: अमरनाथ यात्रा एक दिन के निलंबन के बाद मंगलवार को फिर से शुरू हो गई है। 1,873 यात्रियों का एक और जत्था जम्मू से उत्तर कश्मीर के बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुआ। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष 29 जून को तीर्थयात्रा शुरू होने के बाद से अब तक करीब पांच लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए हैं।
अधिकारियों ने बताया, "आज कोई भी यात्री काफिला दक्षिण कश्मीर के नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप नहीं जा रहा है। 1,873 यात्रियों को लेकर 69 वाहनों का सिर्फ़ एक सुरक्षा काफिला जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से सुबह 3.25 बजे उत्तर कश्मीर के बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुआ। आज कोई भी यात्री नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप नहीं जा रहा है। अब सिर्फ़ 'छड़ी मुबारक' (भगवान शिव की छड़ी) को पारंपरिक पहलगाम मार्ग से गुफा मंदिर तक ले जाया जाएगा। छड़ी मुबारक 14 अगस्त को पहलगाम से गुफा मंदिर के लिए रवाना होगी।"
पुलिस और सीएपीएफ सहित बड़ी संख्या में सुरक्षा बल, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए जम्मू से लेकर दोनों बेस कैंप तक 350 किलोमीटर से अधिक लंबे मार्ग पर चौबीसों घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। इसके अलावा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए पारगमन शिविरों, आधार शिविरों और गुफा मंदिर में पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
गुफा मंदिर में बर्फ की एक संरचना है जो चंद्रमा के चरणों के साथ घटती-बढ़ती रहती है। भक्तों का मानना है कि यह बर्फ की संरचना भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है। यह गुफा कश्मीर हिमालय में समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भक्त या तो पारंपरिक दक्षिण कश्मीर पहलगाम मार्ग से या फिर उत्तर कश्मीर बालटाल मार्ग से गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं।
पारंपरिक पहलगाम गुफा मंदिर मार्ग 48 किलोमीटर लंबा है। जिससे बाबा बर्फानी तक पहुंचने में 4 से 5 दिन लग जाते हैं। दूसरा मार्ग बालटाल का है। ये 14 किलोमीटर लंबा है। इस मार्ग का चयन करने वाले लोग 'दर्शन' करने के बाद उसी दिन बेस कैंप लौट आते हैं। उत्तरी कश्मीर मार्ग पर बालटाल और दक्षिण कश्मीर मार्ग पर चंदनवाड़ी में तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध है। अमरनाथ यात्रा 29 जून 2024 को शुरू हुई थी। यह 52 दिनों के बाद 19 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के त्यौहार के साथ समाप्त होगी।
jantaserishta.com
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