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शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में हुआ कृषि विभाग का सत्यानाश : दिग्विजय सिंह

jantaserishta.com
18 Oct 2024 3:11 AM GMT
शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में हुआ कृषि विभाग का सत्यानाश : दिग्विजय सिंह
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भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने गुरुवार को भोपाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोला।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि 1993 से 2003 तक प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन एक भी बार हमारी सरकार के कार्यकाल में एक भी बोरी खाद्य की कालाबाजारी नहीं हुई। 2004 के बाद राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बने और खुद को किसान का बेटा बोलने वाले शिवराज के राज में कृषि विभाग का सत्यानाश हो गया। कृषि विभाग में पहले कभी कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ था, लेकिन शिवराज सरकार के 18 साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार देखने को मिला।
उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ने कृषि विभाग के झूठे आंकड़ें देकर हजारों करोड़ का घपला किया है। कांग्रेस के समय व्यवस्था थी कि 100 फीसद खाद सहकारी गोदामों में बंटेगी, लेकिन इन्होंने सरकार में आने के बाद इसे पूरी तरह से बदल दिया और उसे प्राइवेट सेक्टर के लोगों को सौंप दिया। आज सबसे बड़ा घोटाला यही है कि लाखों टन खाद, जिसे बांटा जाता था, उसमें आज खुलेआम कालाबाजारी हो रही है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर हमने कृषि विभाग से जुड़ा एक पोस्ट किया और लगभग 24 घंटों के दौरान सैकड़ों लोगों ने इस पर कमेंट किए। उन्होंने बताया कि खाद की असली कीमत क्या है और ये बाजारों में कितने रुपए का मिल रहा है। भाजपा के नेता कालाबाजारी के नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे सामने टेस्टिंग लेबोरेटरी में खाद्य की जांच कराई जाए। कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता खेत में जाकर सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करेंगे। हमने यह तय किया है कि खाद्य की कमी को लेकर कांग्रेस प्रदेश में एक यात्रा निकलेगी।
वहीं, मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने किसानों का ऋण खा चुकी है। इस सरकार ने किसानों को धोखा देने का काम किया है। प्रदेश के किसानों ने सोयाबीन की फसल को 6000 रुपए क्विंटल खरीदने की बात की थी। लेकिन, इस सरकार ने मांग को नहीं माना। भारत सरकार के कृषि मंत्री किसानों के साथ कई सालों से धोखा करते आ रहे हैं।
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